डॉक्टर नही ईश्वर

डॉक्टरों को भी वह सम्मान, वह हक दे जिसके वे हकदार है।

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 03 Jul, 2020 | 0 mins read
Humanity Respect Doctors

अगर मैं डॉक्टर होता तो पिताजी आज जिंदा होते कहते हुए रोहन फुट फुट के रोने लगा। रोहन जिस गाँव मे रहता है वहाँ सुख सुविधाओं की बहुत कमी है। न शहर से जोड़ती पक्की सड़क, न पाँचवी से आगे स्कूल और न ही कोई अस्पताल। हर ग्रामीण को हर जरूरत का सामना लेने के लिए 6 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल ही तय करना होता था। गाँव मे रोनक तो तभी होती जब नेताओं का वोट मांगने के लिए आगमन होता। जाने कितने ही नेताओ ने गांव में आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वादे किए पर सब वादे खोखले ही साबित हुए। इतने सालों में अस्पताल तो क्या एक छोटा सा क्लीनिक भी नही खुला। हर मरीज को ग्रामीण खटिया या साइकिल पर बैठाकर ही शहर के अस्पताल ले जाते। छोटी मोटी बिमारियों से तो ग्रामीण खुद ही निपटारा करना सीख ही गए थे।

पर उस दिन रोहन के पिताजी को अचानक दिल का दौरा पड़ा। जब लोगो का इलाज करके घर लौटते समय चक्कर खा कर गिर पड़े। गाँव मे एम्बुलेंस आना संभव नही था किसी तरह गांव वालों की सहायता से उन्हें शहर के अस्पताल लाया गया पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर के कहे ये शब्द की "अगर समय पर अस्पताल पहुँच जाते तो इनका इलाज संभव था" रोहन के कानों में बार बार गूँज रहे थे। आज रोहन को पिताजी की सारी बातें याद आ रही थी। पिताजी में समाज सेवा का भाव शुरू से ही था। पुरखों से मिले आयुर्वेदिक ज्ञान से आस पास के गांवों में घर घर जाकर लोगो का इलाज करते। वे दिन रात रोहन को पढ़ने का बोलते। उनका सपना था कि रोहन पढ़ लिख कर डॉक्टर बनें गांव में अस्पताल न सही कम से कम उनके गाँव को एक डॉक्टर की सेवा तो मिल ही जाएं। घर मे कम सुविधाएं होने के बाद भी रोहन के लिए उन्होनें साइकिल खरीदी ताकि उसकी पढ़ाई न रुके और शहर जा कर अपनी शिक्षा पूरी कर सके। लेकिन रोहन ने उनकी बातों को कभी ध्यान से सुना तक नही। मौज मस्ती और यार दोस्तों में ही समय गुजारता रहा घर से स्कूल का बोल कर जाता और दिन भर दोस्तों के साथ दिन काटता। पिताजी तो यही सोचते कि चलो घर न सही बेटा स्कूल में तो पढ़ता ही होगा। पर उनका यह सपना भी एक दिन चूर चूर हो गया जब रोहन बारहवीं में फेल हो गया। उस दिन सबसे ज्यादा दुखी पिताजी ही थे पर उन्होंने रोहन से कुछ नही कहा। पिताजी का सपना तोड़ने के साथ साथ रोहन ने उनका विश्वास भी तोड़ दिया था। पिताजी तब भी लोगों की सेवा में लगें रहे पर उन्हें रोहन के डॉक्टर न बन पाने का गहरा सदमा लगा। पिताजी ने तो अपने होठों पर चुप्पी साध लीं थी और फिर एक दिन उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे हमेशा के लिए शांत हो गए।

पिता को खोने का दोषी रोहन स्वयं को ही मानता रहा। आज एक बार फिर उसके कानों में वे शब्द गूँजे "अगर समय पर अस्पताल पहुँच जाते तो इनका इलाज संभव था"।

"नही नही अब और किसी बेटे के सिर से पिता का साया नही उठेगा। पिताजी ने अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगा दिया और एक मैं हूं जो पिताजी के नक्शे कदम पर चलने के बजाय अपनी ही दुनिया मे खोया रहा।" रोहन की आत्मा ने उसे मन ही मन झिंझोड़ा। अपनी गलती का प्रायश्चित डॉक्टर बन कर ही पूरा हो सकता था। आखिरकार रोहन ने अपना लक्ष्य बना लिया और निकल पड़ा पिताजी के सपने को साकार करने।

रोहन के गाँव मे अस्पताल तो नही बन पाया। पर उसका गाँव अब इलाज से वंचित नही है। लापरवाह और शरारती रोहन अब डॉक्टर रोहन के नाम से पूरे गाँव मे मशहूर है।

आज डॉक्टर और ईश्वर में ज्यादा अंतर नही है बल्कि अब डॉक्टर तो ईश्वर से भी बढ़कर कहा जाने लगा है क्योंकि ईश्वर ने मानव का जन्म तो दिया पर उस मानव के सारे जीवन की रक्षा करने की जिम्मेदारी डॉक्टर ने ही ली है। आज जीवन से संबंधित किसी भी परेशानी चाहे वह बीमारी हो, दुर्घटना हो, कोई बड़ा हादसा हो हम मंदिर की और नही बल्कि अस्पताल में बैठे डॉक्टर की और भागते है। हम सब जानते है, सब समझते है फिर भी क्या हम उतना सम्मान, उतनी अहमियत, उतना मान डॉक्टर को देते है जितना भगवान को देते है। हमारे अपनों का इलाज डॉक्टर करता है पर हम श्रेय भगवान को देते है कि "शुक्र है भगवान ने उसकी जान बचा ली"। वाह री दोगली दुनिया। अब जरूरत है कि हम डॉक्टरों को भी वह सम्मान, वह हक दे जिसके वे हकदार है। बेहद जरूरी है कि हम उनके काम को पेशा न समझकर उनके पेशे मे छुपी सेवा भावना को भी समझें।

स्वरचित, अप्रकाशित

©बबिता कुशवाहा






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Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Bahut sahi likha

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Bahut sahi likha

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    @indu thanks dear

  • Sushma Tiwari · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत ही सटीक

  • Vineeta Dhiman · 4 years ago last edited 4 years ago

    Yes, right nice story

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    शुक्रिया @सुषमा जी @विनीता जी

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    कथा का अंत एक सीख दे गया

  • Manisha Bhartia · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत बढ़िया लिखा

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद @कुमार संदीप @मनीषा जी

  • kushwaha ritu · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very nice

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Bahut achha likha hai

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    मेरी रचना को बहुमूल्य समय देकर पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद @ritu ji @sonia ji

  • Savita vishal patel · 4 years ago last edited 4 years ago

    Bahut sahi kaha

  • updesh kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    Good words

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank-you so much @savita ji & @updesh ji

  • Moumita Bagchi · 4 years ago last edited 4 years ago

    Sikshaprad aur sundar kahaani, sochne ko mazboor kar deti hain...v. nice Babitaji👏🏻👏🏻

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद @moumita ji

  • umesh kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    भावुक लेख

  • Neha Srivastava · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very nice 💐💐

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद @neha ji @uk ji

  • Sharma · 4 years ago last edited 4 years ago

    Bahut khub babita ji...👌👌🙏

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thankyou @annie ji

  • ARAVIND SHANBHAG, Baleri · 4 years ago last edited 4 years ago

    Katha me rochakata hai. Uttam prayasa ke liye badhai

  • Shah طالب अहमद · 4 years ago last edited 4 years ago

    Gajab ... Superb

  • Dr. Pratik Prabhakar · 4 years ago last edited 4 years ago

    डॉक्टर को इंसान ही रहने दें तो अच्छा होगा बहुत खूब

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    अपने बहुमूल्य विचार देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद🙏

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