त्यौहारों का आनंद
आनंद त्यौहारों का अब पहले सा कहां आता है
पता भी नहीं चलता कब त्यौहार आता है कब चला जाता है
पहले कई दिन पहले से ही होने लगती थीं तैयारियां
मिलजुलकर बनाते थे सब पकवान और मिठाइयां
खाते पीते थे संग बैठकर,देते थे एक दूसरे को गले मिलकर बधाईयां
अब सब ऑनलाइन चलता है चाहे खरीदारी हो या बधाईयां
रहते बच्चे जिनके दूर, उनको भी त्यौहार आनंद कहां दे पाता है
सूना घर, आंगन उनको टीस ही देकर जाता है
आओ मनायें मिलजुलकर हम त्यौहार,ना बैठा रहे कोई उदास
भरे ये सबके मन में नया जोश, उमंग और उल्लास
Paperwiff
by vandanabhatnagar