क्या हुआ , आप अभी तक तैयार नहीं हुए , फैक्ट्री नहीं जाना क्या , परेशान भी लग रहे हैं - मैंने इन्हें चुपचाप बैठे देख पुछा ही लिया ।
क्या करुंगा जाकर , सारी पूंजी लगा कर मेक इन इंडिया के तहत ये फैक्ट्री लगाई कि हमारे गांव के लोगों को यही रोजगार दे सकूं , तुम तो जानती हो , हमारा सारा कच्चा माल चीन से आता रहा है , पर अब जो सरहदों पर हुआ ,जो हालात हैं , वहां से मंगवाने को आत्मा नहीं मानती - इन्होंने कहा ।
तो मत मंगाए, क्या हमारे देश में कच्चा माल नहीं मिलता - मैंने पुछा ।
मिलता तो है , पर वहां की तुलना में मंहगा पड़ता है , लागत बढ़ी तो तैयार माल भी महंगा हो जाएगा ,कौन खरीदेगा ,- इन्होंने कहा ।
क्यों क्या मैं नहीं खरीदती ?
मतलब?
मतलब ये कि जब मैं घर के बजट को थोड़ा बदल कर सिर्फ देश में बनी ही चीजें खरीदना शुरू कर दिया है तो बाकियों ने क्या किया ना होगा । आप बस मेक इन इंडिया को मेड इन इंडिया में बदल दिजिए । हमारे देश का ही कच्चा माल खरीद कर अपना सामान बनाइए , रही बात मंहगाई की तो फिलहाल मुनाफा थोड़ा कम कर दिजिए । देश की मिट्टी से बना, देश के लिए , बल्कि मैं तो कहती हूं दुनिया के लिए , आप अब भी भागीदार है देश की तरक्की में , हम अपने लोगों को अब अपनी तरह पलायन नहीं करने देंगे । - मैंने उनके कंधे पर हाथ रख दिया और कहा - मैं साथ हूं आपके ।
ऐसे तो मैंने सोचा ही नहीं था ।
तो अब सोचिए ।
तो फिर लाओ चाय और नाश्ता ।
मैं जाने लगी तो पुकारा इन्होंने - सुनो ! एक मीठी चाय बाबू जी को आज मेरी तरफ से दे दो ।
वो किसलिए?- मैंने पूछा ।
बहू बहुत अच्छी ढूंढ कर लाए हैं - जवाब मिला ।
एक नई खुशी सुबह में घुल गई ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wahh
शुक्रिया आपने अपना वक्त दिया ।
वाह बहुत खूब लिखा है आपने
शुक्रिया ।
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