चाहत
नहीं लिखा खत सिर्फ तुम्हें बुलाने को,
प्रेम से पिरोया है अपने मन के अल्फाजों को।
समझ सको इनको तो लौट आना,
मगर अकेले नहीं.......
संग बीते लम्हों की मिठास लिए।
बिन मिठास के तुम्हारा लौटना ऐसा होगा,
जैसे कोई लौटा हो जीवन की हार लिए।
मेरा खत तुम्हारी हार का जरिया बने
चाहत नहीं मेरी।
क्योंकि तुम्हारा होना सिर्फ जरूरत नहीं
चाहत है मेरी.......
Paperwiff
by shilpi goel