प्यार और बलिदान
प्यार स्वतःस्फूर्त एक सुखद एहसास,
जो है प्रकृति के कण कण में संग है विश्वास,
स्नेह परवाह ख्याल फिक्र विश्वास और सम्मान,
बना दे इसको सदा ही खास।
प्यार में न कभी कोई अपेक्षा और उपेक्षा हो
एक दूजे के गम दूर करने का प्रयत्न सदा हो,
बलिदान करें खुशियों को एक दूजे के लिये,
फिर भी नही कोई अफ़सोस या गिला है।
बलिदान करें सारी सुख सुविधाओं का,
बलिदान करें अपनी सारी कामनाओं का,
निश्छल निर्मल पवित्र प्रेम हो रूह से,
होम कर दें तुच्छ काम क्रोध मोह जैसे वासनाओं का।
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by ruchikarai