Hem Lata Srivastava

hemlatasrivastava

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दरख्त रेगिस्तान का
वो दरख्त था एक रेगिस्तान का, रेतीली हवाओं के बीच खड़ा मदमस्त सा, तपिश सूरज की सह कर भी, थपेड़े गर्म हवाओं के सह कर भी मदमस्त था, टहनी को फैलाये हुए वो दरख्त था मदमस्त सा,सूख रही थी टहनियां तेज आंधियों से फिर भी था खडा,रोज एक न जाने कहाँ एक पंक्षी से आकर बैठ उस दरख्त पर गया, सवाल अनेकों उमड़ रहे थे उसकी आँखों में,थोड़ा सा दम भर पूछा जो उसने उस दरख्त से,क्यों यहाँ बियाबान, वीरान सी धरा पर हो अकेले तुम,है कौन यहाँ जिसको है जरूरत तुम्हारी,एक मौन छाया दो पल को उस रेगिस्तान में,तुमको है मेरी जरूरत है ऐ दोस्त मेरे,न होता गर मैं इस सूनसान रेगिस्तान में,उड़ते-उड़ते थक गए थे जब तुम,गर न होता मैं इस धरा पर, क्या इस गर्म, तपती रेत पर सुस्ताते तुम,मत सोच ऐ मेरे दोस्त इस जहाँ में, कोई नही है जिसके वजूद का न हो अस्तित्व यहाँ ,

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by hemlatasrivastava

टाॅपिक- जून की दोपहर

04 Jun, 2023
सफर
कुछ थे सहमे से, इस नये सफर में हमारे कदम, रखा था जिस रोज हमने आपके आँगन में अपने कदम । कांपता सा बदन, डरा हुआ सा था दिल हमारा , रखा था जिस रोज हमने आपके आँगन में अपने कदम । अनजान थे वो रास्ते,अनजान सभी थे रिश्ते, रखा था जिस रोज हमने आपके आँगन में अपने कदम । हाथ थाम आपका चल पड़े आपके साथ विश्वास दिल में था भरा, अर्पण किया जिन्हें सब वो सम्हालेंगे मेरे कदम मुश्किलों भरे इस सफर में,अनजान डर दिल में लिए पर विश्वास आप पर कर, रखा आपके आँगन में कदम आंसू ढलक निशाँ गालों पर बनाएं इससे पहले ही आपने पहलू में छिपाया आपने , अब कोई ख्वाहिश नहीं, बाकी न कोई शिकवा है सनम , हर भूल मेरी माफ़ करना, है इल्तज़ा मेरे सनम , एक तमन्ना है बस इस दिल में , चलना इस सफर में संग मेरे मिला क़दमों से कदम । Hem lata srivastava I

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by hemlatasrivastava

#दिल से

10 Jun, 2021