कलयुगी इंसान
इंसानियत कम होती जा रही है । हमें वही मानव बने रहना है जो भगवान ने बनाया है, कलयुग में हमें कलयुगी इंसान नहीं बनना है ।
ए ज़िंदगी
अजीब खेल हैं ज़िंदगी के । किसी को खेलना सिखा जाती है, तो किसी को निराश कर जाती है ।
बेवाक़ परिंदा
परिंदे को उड़ने दीजिए , यही उसका जीवन है । कोशिश कीजिए कि कहीं किसी बेवाक़ परिंदे को कैद ना किया जाए ।
पक्षी और इंसान
मनुष्य और मनुष्य का मन लगभग पक्षियों की तरह है,दोनों में काफी समानताएं हैं, पक्षी की तरह मनुष्य का मन भी चंचल है, फिर सोचना यह है कि आखिर क्या अंतर है पक्षियों और इंसानों?
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अक्श
परिवर्तन जीवन का नियम है । जहाँ भी सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता हो उसे स्वीकार कीजिए और दूसरों को प्रेरित कीजिए
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