विजय भारती

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Picture prompt contest 6
नयन का नैन आज भोर देखने को जैसे व्याकुल सा था ...! उसे फिर एक स्मृति उत्साह और नवरंग से जैसे ,आनंद के सागर में डूबो देता था ...! भोर के लालिमा में वो बस यही सोच रहा था की आज मैं जो भी हूं बस अपने प्यारी बहन के उस अटूट धागे का ही परिणाम हूं ....! वो आज जैसे भोर को कह रहा था की :- शीतलता तो तुमने मेरी बहन से सीखा है ..! ममता भी तुमने उन्ही से सीखा है ...! जी ,,शायद वो सही कह रहा था की जो कुछ भी सीखने योग्य है वो मात्र एक स्त्री ही तो है और ये अटूट स्नेह का मंजर ही तो रक्षा बंधन के लिए प्रसिद्ध है ...! ये कथन उसके बहन के लिए संसार का सबसे उत्तम उपहार था ....! रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🥰🖤विजय भारती

Paperwiff

by 2790

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06 Aug, 2022