प्रेम,इश्क,प्यार किसी भी नाम से पुकारा जाए, किंतु इसका एहसास खास ही होता है।किसी के लिए समर्पित हो जाना यही इसका भाव होता है।
आइए आपका परिचय करवाती हूं एक खास प्रेम कहानी से।नेहा जो एक युवा लड़की है,बेहद खूबसूरत और यौवन से परिपूर्ण,नयन झील से भी गहरे,होंठ गुलाब से भी ज्यादा लाल,उस पर उसके भौंरे से काले रेशमी बाल।
सिर्फ सुंदरता में ही नहीं अपितु पढ़ाई में भी अव्वल थी नेहा। कमी थी तो सिर्फ एक बात की, कि उसके पांव में पोलियो था जिसके कारण वह चल नहीं पाती थी।
डरती थी प्रेम के शब्द से, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई भी उस पर दया करें।साहित्य में उसकी रुचि थी,अक्सर काव्य रचना लिखती रहती और समाचार पत्र में भी अपना लेख भेजती।
उसके पिता एक सरकारी नौकरी में थे,उनका तबादला होता रहता था।इस बार उनका तबादला कानपुर शहर में हुआ था।जाते ही उन्होंने नेहा का दाखिला एक अच्छे कॉलेज में करा दिया। नेहा ने बी .ए . में प्रवेश लिया था।क्लास में भी सब नेहा को पसंद करते थे।
लेकिन एक था जो नेहा को बहुत ज्यादा पसंद करता था।
जीवन नाम था उसका,था भी जीवन समान सबको खुश रखता। हँसी मजाक करता ही रहता।सुंदर, सुडौल और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था।
क्लास की हर लड़की उससे बात करना चाहती,लेकिन उसे तो सिर्फ नेहा से बात करनी थी। नेहा उससे दूर ही रहना चाहती थी,वो एक दूरी बनाएं रखना चाहती थी। प्रेम के रूप में दया नहीं चाहती थी वो किसी से भी।
कॉलेज का वार्षिकोत्सव था, जहां सबने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। नेहा ने भी अपनी भागीदारी निभाई और एक सुंदर कविता पढ़कर सुनाई।
उसकी लिखावट में स्वाभिमान और ओज दोनो ही था।तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा।
आज जीवन ने निश्चय कर लिया कि,नेहा को अपना हाल ए दिल सुना कर रहेगा। नेहा बाहर अपने पिता का इंतजार कर रही थी कि तभी जीवन आ कर बोला,"नेहा! तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।थोड़ा सा समय दे दो। सकुचाई सी नेहा मना नहीं कर पाई। जीवन बोला," तुम मुझे बेहद पसंद हो और मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूं,कोई कमी नहीं है मेरे परिवार में,ईश्वर का दिया धन ,व्यापार सब कुछ है।बस तुम एक बार हां कर दो।"
नेहा ने कुछ नहीं बोला,अगले दिन अपने घर बुलाया।
जीवन को लगा शायद अपने पिता से मिलवाना चाहती है।
अगली सुबह वो नेहा के घर पर था।दरवाजे खुलते ही सामने उसने पिता को पाया।
जीवन बोला," नमस्ते अंकल ! मैं जीवन हूं,नेहा ने बुलाया था।
पिताजी बोले," हां बेटा,अंदर आ जाओ । नेहा ने बताया था तुम्हारे बारे में।अंदर कमरे में है नेहा,कहकर उसके पिता चले गए । जीवन ने दरवाजा खोला तो देखा नेहा बिस्तर पर बैठी थी,और उठकर व्हीलचेयर पर बैठने का इंतजार कर रही थी।
नेहा बोली,आओ तुम्हे कुछ सच के दर्शन करवा दूं। मुझे उठाकर इसपर बैठा दो। जीवन ने उसे बैठा दिया। फिर उसके कपड़े निकालने के लिए अलमारी खुलवाई। जीवन ने कपड़े निकाल दिए ।
फिर नहाकर, कपड़े पहनकर वो बाहर आ गई। खाना भी वो खुद नही बना पाती थी। जीवन ने उसकी पूरी दिनचर्या को समझा।
फिर नेहा बोली," ये सच जानना ज्यादा जरूरी था तुम्हारे लिए कि, एक अपाहिज लड़की के लिए कितना मुश्किल है सब काम करना। मै खुद से सारा काम तक नहीं कर सकती,तुम्हारा घर कैसे बसाऊंगी? तब प्रेम भी खिड़की से बाहर भाग जायेगा और मैं तुम्हारा जीवन खराब नहीं कर सकती। तुम एक योग्य लड़की से विवाह करो जीवन।मुझ जैसी अपाहिज से नहीं।"
जीवन बोला," आज भले ही तुम्हारे लायक नही हूं, लेकिन कल बनकर आऊंगा तुम्हारे लायक।बस इंतजार करना मेरा, यह कहकर वो चला गया।"
वो इश्क ही क्या, जो इम्तेहानो से ना गुजरे
वो आशिक ही क्या,जो यूं ही हार मान ले।
ना जीवन हारना चाहता था,ना ही सच्चाई से मुंह मोड़ना चाहता था। वो जानता था कि उसका परिवार शायद तैयार नहीं हो या फिर वो सब नेहा को समझ नहीं पाए।
सरकारी नौकरी के लिए उसने खूब मेहनत शुरू कर दी।दिन रात पढ़ाई में खो गया।करीब २साल की मेहनत के बाद उसका चयन राज्य लोक सेवा आयोग के जरिए हो गया।
कुछ महीनों बाद जब उसने अपनी नौकरी में खुद को स्थापित कर लिया,वो एक बार फिर नेहा के दरवाजे पर खड़ा था।
आज उसे देखते ही,नेहा भाव विभोर हो गई।
जीवन बोला," मुझे अंदर नहीं बुलाओगी! शरमाते हुए नेहा ने माफी मांगी, बोली "अंदर आओ ना फिर अपने पिता को बुला लिया।"
आज मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं और आज भी तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं, क्या मुझसे विवाह करोगी? ना मुझ पर कोई दबाव होगा ना ही प्रेम बाहर भागेगा।
निशब्द नेहा ने अपनी स्वीकृति अश्रु द्वारा दे दी थी।
दोनों का विवाह जल्द ही हो गया। नेहा को जीवन के प्रेम ने ये अहसास दिला दिया था कि प्रेम शारीरिक सुंदरता और क्षमता से ऊपर है।
दुनिया में कम ही सही लेकिन कुछ अपवाद जरूर मिलते हैं क्योंकि आज वो समय है जहां प्रेम शारीरिक सुंदरता से आकर्षित हो शुरू होता है और फिर कुछ समय बाद लड़ाई झगडे में खत्म हो जाता है।
उम्मीद है पाठको को मेरी रचना पसंद आई होगी।
धन्यवाद।
लेखिका : विनीता सिंह तोमर
जीवन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उम्दा सृजन
आभार
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