सैर एक सदी की!

कई बार जीवन में लगता है काश मैं ऐसा करती तो अच्छा रहता लेकिन ये भी जानना जरूरी है कि टाइम के साथ काफी कुछ बदल जाता है जो अच्छा भी है तो बुरा भी है।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 10 Apr, 2021 | 1 min read

समय की गति का जवाब नहीं।काश, "मै भी बीते कल में जा पाती तो अपनी गलतियों को जरूर ठीक कर लेती और इस विचार के रिया सो गई।"

रिया की शादी को कुछ ही समय हुआ था और अभी से पति पत्नी के झगड़े बढ़ने लगे थे। प्रेम विवाह किया था उसने शैल से और प्रेम आज भी करती है फिर भी कभी कभी गुस्से में आ कर अक्सर कह जाती कि, "अगर टाइम मशीन होती मेरे पास तो मैं सब ठीक कर देती। ना तुम मिलते ना प्यार करती तुमसे"।

आज लगता है ईश्वर ने उसकी सुन ली और वो स्वप्न में चली गई। जहां उसने खुद को टाइम मशीन के अंदर पाया। पहले तो वो घबरा गई कि मैं कहां आ गई सच में। फिर समय की सैर का मन बना लिया और चल दी वो। अब वो पहुंच गई एक सदी पीछे जब देश अंग्रेजो के चंगुल में था। उस समय की परिस्थितियां देखी।

औरतों को अधिकार नही था प्रेम विवाह का, घर में उनकी जरूरत सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए थी और घर सम्हालने के लिए होती थी। घर परिवार के अहम फैसले पुरुष ही लेते थे।

ये सब देख उसे लगा, "अच्छा है मैं आज के युग में हूं। शैल तो कितना प्रेम करता है मुझे। हर बात में मेरी राय भी लेता है। मै शायद कुछ ज्यादा ही बोल जाती हूं।"

वो टाइम मशीन में बैठ कर वापस आ जाती है और उसका सपना भी टूट जाता है। लेकिन उसकी हर बात उसे ऐसे याद थी जैसे सच में ये सब उसने देखा था।

खुद को खुश किस्मत मानते हुए वो उठी और शैल से माफी मांग ली। शैल," माफ़ कर दो । मैं जानती हूं कि कुछ ज्यादा ही तमन्नाएं रखती हूं लेकिन आज से मैं खुद को अच्छे पत्नी बनाने की कोशिश करूंगी।

शैल बोला,"तुम जैसी हो वैसे ही अच्छी हो। और मुझे सबसे अच्छी तुम्हारी हंसी लगती है।"

चलो सपने में ही सही टाइम मशीन की सैर तो कर आई।

ये थी एक छोटी सी काल्पनिक कहानी अगर पसंद आए तो जरूर बताएं।

धन्यवाद।

आपकी लेखिका - विनीता सिंह तोमर " मनस्वी"



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