हर त्यौहार हम सबका है!

होली का त्यौहार खुशी का त्योहार है। हमें कोई हक नही कि दूसरे लोगो की खुशी को खराब करें।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 26 Mar, 2021 | 1 min read

सुना है आज होली मिलन समारोह आयोजित किया जा रहा है अपनी सोसाइटी में,शेखर पूछ बैठा सीमा से।

हां जी, मैं वही के लिए तैयार हो रही हूं,आप भी चलो साथ में बड़ा मजा आयेगा, चहकती हुई सीमा बोली।

अभी कुछ समय पहले ही इस सोसाइटी में आए थे।यहां की काफी पॉपुलर सोसाइटी में से थी,लेकिन शेखर खुद को सहज नहीं पाता था सबके बीच,कारण था वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। उसकी आशाएं, उसकी चाहतें थोड़ी कम ही थी। जो था उसमे ही खुश रहता था,लेकिन जब से यहां आए थे सीमा का ये उतावलापन देख उसे अच्छा नहीं लगता था। कुछ था जो उसे पीछे खींच रहा था। उसे लगता कि कहीं इस चकाचौंध में दोनो खो न जाए।

सीमा के बार बार कहने पर वो चलने को तैयार हो गया। दोनो ने पार्टी में कदम रखा। वहां पहले से ही काफी लोग मौजूद थे। शेखर कम ही बोलता था तो 2-4 लोगो से रूबरू होने के बाद वो एक जगह बैठ गया और वहां के नजारे देखने लगा।

सीमा अपने सहेलियों के साथ मस्त थी। तभी कुछ शोर सुनाई देने लगा,जा कर देखा तो 2 लोग आपस में लड़ रहे थे शराब के नशे में, जिसमे एक सोसाइटी का सेक्रेट्री था और दूसरा एक लड़का था जो अपने अम्मी और अब्बू के साथ रहता था।

शेखर ने बात सुलझाने की कोशिश की। सेक्रेट्री साहब तो अपने ही रौब में थे,लेकिन सोच बड़ी ही घटिया बोले ,"ये तो हमारा त्यौहार है इसमें ये क्या कर रहा है? बस आ जाते हैं खाना खाने"। उनकी नफरत साफ दिख रही थी जो शर्मसार कर रही थी सबको। तभी शेखर ने बोला, किसने कहा कि ये त्यौहार एक धर्म का है। हम सब भारत के निवासी हैं और हर त्यौहार हम सबका है। बात तो ऊंची करते है और सोच इतनी बेकार है आपकी।"

"सर्वधर्म सद्भाव का मतलब भी पता है आपको। क्यों नही ये शामिल हो सकता इस पार्टी में, आप इस तरह किसी का अपमान नही कर सकते। आपकी सोच अगर ऐसी है तो बच्चो को क्या सीख देंगे।"

वहां उपस्थित हर व्यक्ति शेखर की बात से सहमत था। सेक्रेट्री साहब ने मौका देख उस लड़के से माफी मांगी और सब वापस अपने घर आ गए।

सीमा आज अपने पति के रूप को देख समझ गई थी कि वो चुप भले ही रहें लेकिन मन से एकदम सोना हैं।

अगले दिन होली सबने अच्छे से मनाई और शेखर खुद उस मुस्लिम लड़के के घर गया और होली का रंग लगाया।

सही कहा गया है ऊंची सोसायटी में जो रहें उनकी सोच भी ऊंची हो ये ज़रूरी नही है।

जल्द ही शेखर और सीमा ने वहां से खाली कर दिया और एक अलग सोसाइटी में रहने लगे। लेकिन वो दोनो अब खुश थे।




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