आज के समय में जहाँ डिजिटल दुनिया एक नया स्थान बनतीं जा रही है, वहीं इससे होने वाले अनुभव भी कुछ खास होते हैं। यहाँ हम अपनो से घर बैठे ही मिल लेते हैं, दूरी कुछ भी नहीं रह जाती, वहीं कुछ नए लोगों से भी रूबरू हो जाते हैं।
किंतु फिर भी इस दुनिया में रहने वाले असली दुनिया को ना भूल जाए ये भी काफी जरूरी है।
इसी भाव को दिखाती मेरी एक कविता जिससे मैंने लिखा है कुछ इस अंदाज में....
डिजिटल वर्ल्ड ने दुनिया बदल डाली
कितने ही लोगों की जिंदगी आसान कर डाली।
पहले समय होता था तब ही देख पाते थे
महामारी ने इसे ही दुनिया बना डाला
ना सोचा था वो रूप दिखा डाला।
जब घरों में कैद थे
तब बाहरी दुनिया से बस ऑनलाइन ही अटैच थे।
इसके माध्यम से कितने ही कवि बन गए।
घर बैठे बैठे कभी लेखक तो कभी शायर बन गए।
कितने ही अनजान लोगों से हम जुड़ गए
अपनी प्रतिभा दिखा कर हम तो प्रसिद्ध हो गए।
रूप चाहे दुनिया का नया हो
लेकिन आज भी लोग वैसे ही हैं ।
जिन्हें करनी होती है चुगली यारों
वो अब ऑनलाइन ही बैठे हैं।
कभी ट्विटर पर करते कॉमेंट
कभी इंस्टा पर छा जाते हैं।
चुगली और गंदगी फैलाने वाले तो हर जगह आ जाते हैं।
दुनिया जरूर बदली है,
ना बदलों तुम यारों।
ऑनलाइन की दुनिया से
थोड़ा बाहर भी निकलो यारों।
जरूरी तो सब कुछ सीखना है
सीखो जरूर, लेकिन पुरानी दुनिया मत भूलों यारों।
धन्यवाद।
लेखिका : विनीता सिंह तोमर
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