राष्ट्रीय बालिका दिवस

बालिकाओं को समर्पित एक छोटी सी रचना।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 24 Jan, 2022 | 1 min read
#poetry #girlchild day

कहानी तो हम सब की है,कभी बेटी,बहन कभी मां बन जाते हैं फिर भी दिल से तो एक बालिका ही रहते हैं।

भारत में भूर्ण हत्या कितनी आम हो गई थी, सरकार के प्रयास और समाज सेवको की कोशिशों ने फिर से बालिकाओं को जीवन पाने का अधिकार दिया।

बालिका दिवस पिछले कुछ साल पहले से ही मानना शुरू किया है, किंतु अभी भी काफी कुछ बालिकाओं के लिए करना बाकी है।

अपनी चंद पंक्तियां इस उद्देश्य के साथ प्रस्तुत कर रही हूं कि बालिका जीवन कितना कुछ है।

बालिका हूं, अभिमान हूं

देश का भविष्य मैं,देश की पहचान हूं।

ना कर मुझे किनारा ,

मैं किनारा नहीं पार ले जाए वो जहाज हूं।

बालिका हूं, अभिमान हूं।


कितनी बंदिशे लगा कर भी समाज,

ना रोक पाया पंख मेरे।

कुछ रूढ़िवादियों ने कभी,

 कतरे थे पंख मेरे।

भूल गए वो, सर्जन भी मुझसे है

जीवन की कमान हूं।

बालिका हूं, अभिमान हूं।

देश का भविष्य मैं,देश की पहचान हूं।


सक्षम मैं हूं, सबलता की मिसाल हूं।

लड़ाकू भी मैं, सौम्यता की पहचान हूं।

कितने ही रूप खुद में समेटे,

ईश्वर का अनोखा उपहार हूं।

बालिका हूं,अभिमान हूं।

देश का भविष्य मैं ही,देश की पहचान हूं।

धन्यवाद

लेखिका : विनीता सिंह तोमर



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Vinita Tomar

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