नारी तुम आत्मा हो
सबके जीवन की मिठास हो।
हर रिश्ते का अपनाती ऐसे
जैसे मुंह में भर दे वो मिठास हो।
नारी तुम सबका विश्वास हो।
अपनो के जीवन को संवार देती ऐसे
खुद को भूल जाती जैसे।
अस्तित्व की बात भूल कर भी
सबका अस्तित्व अपनाती पहले।
कैसे कर लेती ये सब तुम,
सपनों को अपने भूल जाती तुम।
अंतरात्मा की सच्ची अरदास हो।
नारी तुम सबका विश्वास हो।
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