"रंगो की कोई जात नहीं है,कोई धर्म नहीं है।ये तो हर बात में ऊपर है।जीवन का अभिन्न अंग है।क्यों इसे किसी धर्म की आग में झोंक कर लुप्त कर दिया जाए,ये रंग है तो जीवन सजल है।"
सुषमा,अपनी स्कूल की कक्षा में पढ़ा रही थी।वो हिंदी की अध्यापिका थी और साथ ही सांस्कृतिक विभाग की अध्यक्ष भी थी।जितनी सुलझी हुई उसकी बातें, उतनी ही सुलझी हुई उसकी लेखनी भी चलती थी।
इस बार होली के त्यौहार पर स्कूल के प्रबंधन ने उसे जिम्मेदारी दी थी कि बच्चो को रंगों के महत्तव से परिचित कराया जाए और साथ ही स्कूल में एक विशेष आयोजन भी हो।
सुषमा में सभी अध्यापिकाओं की मीटिंग बुलाई और कहा,"इस बार होली के त्यौहार में कुछ प्रतियोगिता का आयोजन करना है और साथ ही हर छात्र को इसमें शामिल भी करना है।ताकि कोई भी खुद को अगल ना पाए।क्या आप लोग मेरी इस बात से सहमत हैं।"
सभी ने सहमति में सर हिलाया। सुषमा में कुछ बोला,"बताइए क्या आयोजन किया जा सकता है?
तभी एक शिक्षक ने बोला," मैडम! ये सब तो ठीक है लेकिन कुछ छात्र महजबी कारण से इसमें ना शामिल हो। ये तो हिंदू त्यौहार मनाया जाता है।"
सुषमा बोली,"आप चिंता न करें इस बार कोई खुद को अलग नहीं पाएगा। ये होली सौहार्द का त्यौहार है इसे सौहार्द और आपसी प्रेम से मनाया जाएगा।"
अगले ही दिन सुषमा ने प्रार्थना सभा में रंग और प्रेम के ऊपर एक व्याखान दिया और चित्रकारी प्रतियोगिता की घोषणा की और साथ ही उसके लिए जीतने वाले छात्रों को उपहार और हर्बल गुलाल की किट देने की भी घोषणा की।
सभी छात्र उत्साहित थे और साथ ही हर छात्र ने इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। रंगो का त्यौहार किसी धर्म तक सीमित नहीं है ये संदेश भी दिया।
प्रतियोगिता के अंत में सभी ने नृत्य और संगीत का आनंद लिया।
सभी प्रतिभागियों की कृति को स्कूल के हॉल में लगा दिया गया ताकि सभी उसे देख सकें।
आज सभी को मजा आया था क्योंकि रंगो से ही तो जीवन बना है और बिना रंग जीवन अधूरा है।
सौहार्द के रंग में हर एक रंगा था।
"रंग और प्रेम कुछ ऐसा ही होता है।
जहां मिल जाए वही का बस होता है।
इसे जीवन से कभी अलग ना करो मित्रो,
क्योंकि बिना इसके जीवन भी अपूर्ण होता है।"
धन्यवाद।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
nice
Thanks
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