अजीब एहसासों और रूहानियत से भरी होती है ये सर्दियां।
मां का दुलार कभी खाने के स्वादों में दिखता है,कभी अचार की खुशबू में दिखता है।स्वादिष्ट खाने से भरा रहता है रसोईघर और मां का प्यार भी सालों तक याद रहता है।
मूंगफली और गजक की बहार हर घर में रहती है। कितना कुछ होता है,इसी भावना को और प्रेम को प्रस्तुत करती मेरी रचना ।
कुछ इस तरह पेश है आपके सामने -
सर्दियों का हर रूप याद रहता है
मां का प्यार और दुलार याद रहता है ।
वो किस्से कहानियां सुनना दादी से का,
महकता अचार और हलवे का स्वाद याद रहता है।
सर्दियों की बात ही खास है ,
मां का गरम खाना हाथों में देना ।
गुड़ और दूध को गरमागरम देना।
कभी रजाई में दुबक मूंगफली चबाना
मीठी गजक को चखना चखाना।
सुलगती अंगीठी का ताप याद रहता है
सर्दियों का हर रूप याद रहता है।
गुलाबी सर्दियों की सुबह याद रहती है
वो मखमली अहसास याद रहता है।
सखियों संग खुली धूप में घूमना
अठखेलियां लेती बालों में उंगलियां घुमाना।
चढ़ते यौवन का हर साल याद रहता है
सर्दियों का हर रूप याद रहता है।
प्रेम का पहला एहसास याद रहता है
प्रिय के साथ पहली सर्दी दिल में याद रहती है।
कभी खिल खिलाना कभी सिमट जाना
प्रिय का आलिंगन याद रहता है।
सर्दियों का हर रूप याद रहता है।
कितना कुछ यादों में छुपाती हैं
ये सर्दियां तो हर साल खास बनाती हैं।
जीवन का हर मोड़ इनके साथ निकलता है
मां के आंचल से लेकर मां बनने तक का सफर
याद बनकर रहता है।
कभी बेटी बनकर तो कभी मां,
सर्दियों का हर साल निकलता है।
क्योंकि,सर्दियों का हर रूप याद रहता है।
कितने ही बातों को समेटे मेरी ये रचना उम्मीद है
हर एक के जीवन को प्रतिबिंबित करती है।
धन्यवाद।
लेखिका : विनीता सिंह तोमर
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