अपने पिता के लिए और सभी पिताओं के लिए एक छोटा सा समर्पण।
हम अक्सर नहीं कह पाते कि पापा आप कितने खास हैं
आपका होना क्या है हमारे लिए।
अपनी छोटी सी कविता के जरिए सभी पिताओं को मेरा प्रणाम।
ना कभी हाथ छोड़ते
ना कभी भुलाते हैं।
मेरे पिता तो मुझे दिल में सजाते हैं।
कभी कुछ ना भी बोलो
तो भी सब समझ जाते हैं।
कितनी ही खुशियां बिन कहे ही ले आते हैं
मेरे पिता तो मुझे दिल में बसाते हैं।
ख्वाबों के रेत पर
नंगे पांव चलना सिखाते हैं।
जिंदगी की सच्चाई से भी रूबरू कराते हैं।
मेरे पिता तो मुझे दिल से जीना सिखाते हैं।
मां जितना ही मुझपर प्रेम लुटाते हैं
बस कभी हँस कर नहीं दिखाते हैं।
अपने अरमानों को कभी भूल जाते हैं
मेरे जीवन की हर उलझन सुलझाते हैं
क्योंकि मेरे पिता तो मुझे दिल में सजाते हैं।
लेखिका : विनीता सिंह तोमर
धन्यवाद
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
very touching
awesome
Thanks
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