आज की कहानी है सागर और उसके पिता श्री मिश्रा जी की जिन्होंने सागर को जीवन का सार समझाया और उसको आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी।
सागर एक छोटे शहर का मेहनती लड़का है और परिवार की हर परिस्थिति के बावजूद वो हमेशा आगे रहा पढ़ाई में।
बेहद मेहनत और लगन के साथ उसने एक बड़े शहर में अच्छी नौकरी प्राप्त की किंतु फिर भी कई जगह उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
उसके साथी और सहयोगी उसका मजाक उड़ाते रहते और नीचा दिखाने की कोशिश करते।जिसके कारण सागर कभी बैचेन रहता। उसके माता पिता,उसके पास शहर रहने आए और उसकी मानसिक स्थिति को समझ पा रहे थे,कई बार पूछने पर भी सागर ने कुछ नहीं बताया।
उसके पिता एक लेखक भी थे और उसको जीवन का सार समझाने के लिए अपनी एक कविता लिखी।
छुट्टी के दिन उसको पास बैठाया और बोले,बेटा इसे जरा गौर से सुनना ,
किसी के कहने से दिन में रात नहीं होती,
सपनों को पूरा करने की कोई मियाद नहीं होती,
दोस्तों, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
जज्बातों के भंवर में बहने से नईया पार नहीं होती,
खुद की काबिलियत से बढ़कर कोई जुगाड नहीं होती,
दोस्तों, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
आंखे मूंद लेने से कोई मुश्किल पार नहीं होती,
निरंतर कर्तव्य और प्रयास की उड़ान बेकार नहीं होती,
दोस्तों, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
सत्य के प्रति आस्था कोई मजाक नहीं होती,
झूठ के आडंबर से बढ़कर कोई आग नहीं होती,
दोस्तों, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
सागर के मन में अब ये बात उतर गई कि चाहे कुछ हो जाए अब वो अपने झंडे गाड़ के रहेगा। कुछ समय बाद सागर को अपने अच्छे काम के लिए प्रदोन्नत किया गया और उसके हुनर को समझा गया।
अब वो कभी हार नहीं मानने वाला था।
धन्यवाद।
लेखिका - विनीता सिंह तोमर।
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