हम सभी का जीवन अगर देखा जाए तो पानी और हमारा जीवन अनेक समानताओं से भरा हुआ है।उसी को अपनी कल्पना की दृष्टि देते मैं लिखती हूं ये कविता -
बहती नदी की धारा सा मेरा जीवन
कितनी व्यवधानों की लहरों से मचलता मेरा जीवन।
कल्पनाओं की उड़ान ले कर आगे बढ़ती धारा।
अनेक पड़ावों से तराशता मेरा जीवन।
जैसे बिन पानी सब कुछ अपूर्ण है
वैसे ही मेरे बिना हर रिश्ता अपूर्ण है।
झरने सा शांत रहता कभी मेरा चित्त
कभी प्रपात के वेग सा आगे बढ़ता मेरा जीवन।
बारिश की पहली बूंद से शीतल प्रेम का आवरण
जैसे अंततः पाना है समुद्र का आलिंगन।
बहते पानी जैसा मेरा जीवन।
बहते पानी जैसा मेरा जीवन।
लेखिका : विनीता सिंह तोमर
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