Vinita Tomar
19 Jul, 2022
वो कीमती पल!
वो पल कितने कीमती थे,
जब बाबुल के आंगन में चहकती थी।
बनकर सोन चिरैया सबकी,
मां के आंचल में महकती थी।
वो पल सच में कीमती थे।
ना फिक्र थी, ना उलझन थी।
बस सपनों की दुनिया अच्छी थी।
रोज ख्वाब बुनते थे,
नए रंग चुनते थे।
वो पल अद्भुत और कीमती थे।
Paperwiff
by vinitatomar
19 Jul, 2022
microfables contest #poetry
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.