Vinita Tomar
Vinita Tomar 26 Feb, 2022
एक चिट्ठी बिना पते की मां के नाम!
एक दिन मन भर आया दिल ने कलम को अपनाया। मैंने लिख डाली हर परेशानी अपनी मां को लिख दी सारी तकलीफ अपनी। शांत हुआ जी, तब याद उनका चेहरा आया, मां तो खुद पीड़ा में रहती,सोच ये मन भर आया। चिट्ठी रह गई लिफाफे में खाली पता लिख पाई नहीं बाकी। समेट लिया खुद को फिर से रह गई एक चिट्ठी बिना पते की।

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by vinitatomar

26 Feb, 2022

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