Vinita Tomar
Vinita Tomar 24 Feb, 2022
एक चिट्ठी बिना पते की!
एक मुलाकात इतनी खास हो गई वो अब दुआओं में आम हो गई। भूल गया नाम पता तक पूछना कि मेरी लिखी चिट्ठी बिना पते की रह गई। प्रेम तो कबूल लिया उससे, जिंदगी भर का सितम ले बैठा खुद पे। वो नजरों यूं बस गई कि, हर नज़र मिली बेकार सी हो गई। एक चिट्ठी बस बिना पते की रह गई।

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by vinitatomar

24 Feb, 2022

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