खेली थी होली जब आखिरी बार
लगाया था रंग तुमने पहली बार।
रंगा था तो तुमने तन मेरा
रंग गया जो , वो था मन मेरा ।
गुलाबी था रंग तेरे हाथों में
दस्तक दे रहा था वह रंग मेरे जज्बातों में
दमक उठा था गाल मेरा
जाग रहा था सोया मन मेरा ।
तब जाना कहा था
कि मन क्यों हुआ बेचैन मेरा?
स्पर्श तुम्हारा ले गया चैन मेरा ।
चैन मेरा फिर लौट के ना आया
लौट के तो तुम भी ना आए कभी
रह गया इंतजार का रंग सूखा
पर प्यार का रंग पड़ा ना फीका ।
तुलिका दास
#My world , my colour , my imagination
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