धड़कते हैं जो एहसास दिल में मेरे ,
धड़कनों में तुम्हारी भी , वो शामिल तो है।
नींदों का आना जाना नहीं,
राते जागती है ,
यादों में तुम्हारा आना-जाना जारी भी तो है ।
कई राहे मिलती है अब भी कहीं ,
गुजर जाती है ,
वह थोड़ा अजनबी बनकर ।
छुप-छुप के देखती है नजरें ,
थोड़ी पहचान नजरों में ,
अब भी शामिल तो है ।
कभी जो तुम तन्हा होते हो ,
क्या मैं साथ होती नहीं ?
कभी जो मैं अकेली हुई ,
क्या तुम्हें संग बैठे पाया नहीं ?
कई शामें बीती है तुम्हारी बाहों में ,
कुछ लम्हों में नज़दीकियों की तपिश भी तो है ।
छू कर गुजरती है जो हवाएं हमें ,
सांसे उनमें हमारी शामिल भी तो है।
पास नहीं हम साथ हैं,
इस साथ में भी दर्द का एहसास है।
आते हैं जितने करीब हम ,
दूरियां भी करीब आ जाती हैं।
कहां जाएं हम ?
कहां ढूंढू मैं तुम्हें ?
कहां पाओगे तुम मुझे?
एक दूजे में हम शामिल भी तो है ।
रचना - तुलिका दास ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.