ये जाने सच है ?
या वो सच है ?
जाने क्या सच है ?
जो देखा मैंने वो सच है ?
जो सुना मैंने वो सच है ?
या महसूस जो इस दिल ने किया वो सच है ।
जाने अनजाने मैंने किया तेरा ही इंतजार ,
देखा उधर , जिधर से तेरे आने के थे आसार ,
तुझसे दूर जाने की कोशिशें की बेकार
या वो कोशिश थी ही तेरे पास आने की ?
सोचने बैठु तो उलझ जाऊं ,
क्या है यह समझ ना पाऊं ।
कोई नाम ले मेरा ,
नाम तेरा सुनाई दे ,
कोई पुकारे मुझे ,
आवाज तेरी सुनाई दे।
कभी कुछ कहा ना तुमने
कभी कुछ कहा ना मैंने,
लफ्जों में बातें होती नहीं,
निगाहों ने भी कुछ कहा नहीं।
फिर क्यों ऐसा लगा मुझे ,
जैसे कुछ कहा है तुमने,
क्या वाकई कुछ कहा है तुमने ?
या मैंने यूं ही सुन लिया
दिल ने मेरे जो सुनना चाहा।
मैं जा रही हूं उलझती,
लहरों में बहती बहती ,
कोई तो थामें मुझे ,
कोई तो बताए मुझे ,
सच है क्या कोई तो सुना दे ,
क्या है यह कोई तो बता दे ।
रचना - तुलिका दास
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