अनकही शायरी
हर सहर, हर शाम आँखों का काजल आँसू बन बेह जाता है,
दिल तो है मोम सा नाजुक पर पत्थर बन हर दर्द सह जाता है
करना तो चाहती हूं पूरे सपने अपने, पर कुछ सोच कदम रुक जाते हैं,
सपने तो आखिर सपने हैं जो सच की दुनिया झुठलाते हैं,
Paperwiff
by surabhisharma