फेक आई डी...!

ये एक भावनात्मक संस्मरण है, और इसे फेक आई डी नाम क्यों दिया गया, जानने के लिए पूरा लेख पढें..!!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 07 Jan, 2021 | 1 min read
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करे तो क्या करे..उसे हर वक्त अपने घर की चिंता सताती थी,अकेली मां क्या कर लेगी..."

पापा तो असमय चले गये,ये दुख फांस बनकर दिल के किसी कोने में अटका था ,और दूसरा वो,खुद इतनी दूर,प्रदेश में ..."

उसकी शादी कर गये थे पिता.."

बाकी सब भाई बहन ,अभी कंवारे थे,छोटे और अनुभवहीन बच्चे कैसे घर को संभाल कर चलेंगें ,यही चिंता के विषय रहते ,सीधे कुछ बातचीत करती तो ..वे आधी सुनते ,आधी नही ,और सही से अमल तो करते ही नही..."

एक दिन वो सोच रही थी कि चिट्ठिया लिखे ,एक अनजान शख्स बनकर,अपनी राइटिंग बदलकर,कभी किसी ओर से लिखवा लेगी.."

उसने ऐसा ही किया पहली चिट्ठी में लिखा कि हम एक संस्था है ,तरीके ,तरीके से लोगो की मदद करते हैं ,आपकी बहन आयी थी हमारे पास एक दिन ...उन्होने बताया कि आपके पिता तो दुनिया छोड गये और घर को संभालने की जिम्मेदारी असमय ही आप के कंधे पर आ गयी ..."

आप चिंता ना करें,आप अकेले नही है,ईश्वर हर पल आपके साथ हैं और हम कुछ पत्रो की साहयता से आपका मार्गदर्शन करते रहेंगें ,भरोसा रखें ,बहुत जल्द सब ठीक हो जायेगा ..।

इस तरह अपने ही भाई बहनो के नाम हर महीने वो होंसले भरे पत्र लिखती ,उन्हे भरोसा दिलाती कि परेशान ना होये ,सब ठीक हो जायेगा ,और पत्र के अंत में आपका शुभचिंतक लिखकर जगह खाली छोड देती ..।

और जो चिट्ठिया अलग से अपने नाम से लिखती ,जब उनके जबाब मिलते तो उसमें उन अनजान पते से मिले खतो का जिक्र जरूर होता ,उसके भाई बहन ,उन पत्रो में सुझायी सलाह ,और होंसले के कायल हो चुके थे ,उनको लगता कि ईश्वर ही जैसे किसी के माध्यम से हमारी मदद कर रहा है,इस तरह पूरे साल में बारह पत्र उसने लिखे और आखिरी पत्र में अवगत भी कराया कि ये अंतिम पत्र है ,उनकी ओर से ,और उनको ये आशा है कि आप लोग अब तनाव और दुख से बाहर निकलकर सामान्य जिंदगी में आ गये होंगें...।

वो सभी चिट्ठिया जो एक नाजुक वक्त में परिवार का संबल बनी ...उसकी बहन ने बहुत संभाल कर रखी थी ..।

सालो बाद ,एक दिन जब वो अपने मायके में ही थी और वहां कुछ साफ सफाई का काम चल रहा था ,तो वे चिट्ठिया फिर सामने आयी ..."

बहन बोली ...दीदी ,आज तक पता नही चला कि ,ये इतनी आत्मीयता से चिट्ठिया कौन लिखता था ,आप किस संस्था में हमारा पता देकर आयी थी ,और क्या बताकर आयी थी ,

कुछ खास नही ..यही कि पिताजी चले गये ,परिवार सदमें में है..कैसे अपनी जिंदगी में वापिस लौंटे..."

फिर बहन ने एक दो सवाल ओर किये ,जिनको बताते बताते उसकी हंसी छूट गयी ..."

बहन ने झट पकड लिया ..हो ना हो ,ये पत्र आपके खुद के ही लिखे हुए हैं ,आप इतने सालो से हमको बहला रही हो..।

अब बताओ भी ...सच क्या है ..?

तब उसने गहरी सांस ली और कहा ..वक्त गुजर गया ना छोटी ""...क्या फर्क पडता है किसने लिखे ,अगर मैने भी लिखा है तो ईश्वरीय प्रेरणा ही रही है,और मेरा तुम लोगो के प्रति प्यार ....।

इस वार्तालाप में दोनो बहने भावुक हो चली और एक बार फिर तय हुआ कि भाईयों को कुछ नही बताया जायेगा ...।।

©® sonnu lamba 😍

 

(ये वाकया ,उस जमाने में फेक आई डी जैसा ही था ,जबकि मोबाइल फोन भी चलन में नही थे ,लेकिन इस तरह अच्छे उद्देशयो से शायद ही कोई अब फेक आई डी बनाता हो ।)

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Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंदर लेखन

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut sunder❤️❤️

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया औऱ भावुक

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बेहतरीन

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    ✍️🙏🙏✍️

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    आप सभी दोस्तों का बहुत बहुत आभार, शुक्रिया 🌹🌹🌹🌹

  • Moumita Bagchi · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत अच्छी, कहानी👍👍 काश सारे फेक आइडी वालों के इरादें ऐसे ही नेक होते😊

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद मोमिता जी

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