नीता की इस स्कूल में कुछ दिन हुए ही पोस्टिंग हुई है ,ये देहात का क्षेत्र है और ये जूनियर हाई स्कूल ,बहुत मुश्किल होती है शुरूआत मेंं ऐसे स्कूल में एडजस्ट करना ,जहां विद्यार्थी भी अक्सर कक्षाओं से गायब रहते हैं ,घर में काम होने की वज़ह से उनके माता पिता ही उन्हें स्कूल से रोक लेते हैं ,ऐसे माहौल में छात्रों के मन में पढाई के लिए लगन बनायें रखना ,उन्हें तरह तरह की ऐक्टिवीटिज में लगाए रखना एक चुनौती ही तो है ।
एक लड़की जो स्कूल आती तो नियमित है लेकिन बहुत सहमी सहमी सी बैठी रहती है ,कक्षा में अन्य छात्रों की तरह उछल कूद भी नहीं करती ,कोपी भी साफ सुथरी रखती है पढ़ने में भी ठीक ठाक है लेकिन फिर भी एक कमी सी लगती रहती है ।
एक दिन नीता ने उसे अपने पास बुलाया ,पहले तो वो घबरा गयी उसे लगा कोई गलती हो गयी है , उससे ....लेकिन नीता ने आराम से बात करते हुए सहज कर लिया उसे ,और धीरे धीरे उसकी पारिवारिक स्थिति जानने लगी ,
नाम क्या है तुम्हारा ,"
आंचल ,"
पिता क्या करते हैं"
शहर में नौकरी करते हैं ,
रोज अप डाउन करते हैं ,"
नहीं हफ्ते में एक बार आते हैं,
मां ...क्या करती हैं ,"
मां नहीं है ,"
मतलब ..?
इस दुनिया में ही नहीं है ,"
ओह ..!
कोई भाई बहन ..?
वो भी नहीं है , चचेरे बहन भाई हैं ",
तुम किसके पास रहती हो ,"
सब इक्कट्ठे रहते हैं, तायी चाची हैं,"
रोज स्कूल आती हो ,वे तुम्हें कभी छुट्टी करने को नहीं बोलते ,"
बोलते हैं लेकिन मैं अपने हिस्से का काम करके आती हूं और फिर जाकर भी करती हूं ,और मेरा घर में मन भी नहीं लगता ,इसलिए स्कूल चली आती हूं ,"
पढ़ती कब हो ,"
बस स्कूल में ही ,घर पर तो बस स्कूल का काम ही कर पाती हं ,बाकी टाइम घर का काम,"
अच्छा शौक क्या है तुम्हारें ,"
पहले डांस करती थी,"
अब क्यों नहीं ?
चाची कहती है कि खराब लड़कियां मटकती हैं सारा दिन ,तायी कहती है ,पढा़ई की छूट दी है वही बहुत ,घर के कामकाज में ध्यान लगा "
डांस सीखोगी ?
लेकिन कैसे ?
यहीं स्कूल में ...खाली पीरियड़ में ,
जी ....जी टीचर जी कहते हुए उसकी आंखे चमकने लगी ,"
ठीक हे आंचल अपने जैसी डांस पसंद करने वाली एक दो लड़की और चुन लो ,कल से हम खाली पीरियड़ में डांस का अभ्यास भी करेंगें और पढा़ई में आने वाली मुश्किलों पर भी बात करेंगें ।
वो खुश खुश अपनी कक्षा में चली गयी और नीता सोचती रही कि बस कक्षा छ: में ही तो है इतनी छोटी बिन मां की बच्ची को क्या क्या सहना होता होगा ,तभी उसका आत्मविश्वास हिला हुआ है ,लेकिन कोई बात नहीं ,मैं तराशूंगी उसे ,"
इस तरह नीता रोज उन लड़कियों को डांस का अभ्यास कराती ,पढा़ई में आने वाली उनकी समस्याएं हल करती ,अब सभी लड़कियां नियमित आने लगी थी ,जो लड़किया डांस का अभ्यास नहीं भी करती थी ,वो देखती थी शांति से बैठकर या अन्य कोई खेल खेलती थी ।
आज शिक्षक दिवस है और आज ही स्कूल का वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है , धीरे धीरे दो वर्ष हो गये स्कूल में ,नीता सोच रही है आज शिक्षा अधिकारी मुख्य अतिथि हैं ,बच्चों ने कईं तरह के प्रोग्राम तैयार किये हैं ,आंचल सरस्वती वंदना पर नृत्य करेगी , ईश्वर करें सब ठीक रहे आज,
आंचल का नृत्य खत्म हुआ ,पूरा मैदान तालियों से गूंज गया ,खुद आंचल को भी यकीन नही हो रहा था कि वो कक्षा में पीछे बैठने वाली सहमी सी लड़की आज पूरे आत्मविश्वास से ये स्टेज परफार्मेंस दे पायी , सब उसकी तारीफ कर रहे थे , खूब सारा प्रोत्साहन उसे आज मिला और ढे़र से इनाम भी , शिक्षा अधिकारी ने कईं बच्चों के लिए स्कोलरशिप की घोषणा भी की जिसमें आंचल का भी नाम है , लेकिन उसकी आंखे वहां भीड़ में अपनी टीचर जी को ही ढूंढ रही थी , नीता कुछ जरूरी काम के लिए स्टाफ रूम में थी तभी आंचल ने आकर उसके पैर छूए ,
अरे ये क्या कर रही हो बेटा ,बहुत बहुत बधाई ,आज बहुत अच्छा किया तुमनें ,"
नहीं ,मैं कुछ नहीं कर पाती ,अगर आप ना होती तो , दूसरें छात्रों के लिए तो आप अध्यापिका ही हैं , लेकिन मुझे तो आपने मां जैसा स्नेह दिया है ,बस वो इतना ही कह पायी ,और उसकी आँखे नम हो गयी ,
नीता ने आगे बढ़ उसे गले से लगाया ,और कहा , हीरा तो तुम ही हो , मैनें तो थोडा़ सा तराशा है बस ,अब तुम दूसरे स्कूल जाओगी ये आत्मविश्वास कभी न खोना और अपने से छोटे किसी अन्य बच्चे की मदद करना आगे बढ़ने में ।
"जी ...जी टीचर जी "
आंचल ने मुस्कुराते हुए कहा ,और एक बार फिर अभिवादन करके अपने भविष्य के सफ़र की ओर आगे बढ़ गयी ,नीता उसे देखती रहीं और उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती रही ।।
©®sonnu lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर और प्रेरक..!!
Very nice
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