हां, भारत का किसान पीडित है..!
आप सोचेगें कि मैने पहली लाइन में ही फैसला सुना दिया.. कैसे..?
उसकी सबसे बडी वजह है किसान परिवार में जन्म लेना, पिता, चाचा, ताऊ ,मामा, सभी किसान और शादी के बाद ससुराल में भी..!
इसलिए मुझे किसानो से, खेतो से अलग ही लगाव है, उनकी समस्याओं को बचपन से देखा समझा है, पहले चुनौतियां किसानो के सामने अलग किस्म की थी और अब अलग किस्म की हैं, मैं आज यहां इस लेख में हर संदर्भ में बात करूंगी..!
सबसे पहले तो खेती कालातंर से ही एक चेलैंजिग काम है, हालांकि अब बहुत सी नयी तकनीक विकसित हुई हैं, नये किस्म की मशीने आयी हैं, लेकिन फिर भी उसके चेलैंज वैसे ही है, सबसे पहले तो किसान मौसम से जूझते हुए खेती करता है..।
मौसम और प्राकृतिक आपदाएं कभी भी किसी के इशारो पर ना चली है ना चलेंगी, उनसे जूझकर अपनी खेती को बचा ले जाना या अच्छी पैदावार पा लेना ,एकदम भाग्य का खेल है..।
दूसरी बात, नयी तकनीक आयी हैं लेकिन किसानों को उनके बारे में प्रशिक्षण व जागरूकता नही है, अधिकतर पढे लिखे युवा शहर की ओर पलायन कर जाते हैं वो खेती को अपना कैरियर नही ही बनाते, इन्ही सब चुनौतियों की वजह से, अब आते हैं तीसरी बात पर कि मान लिया कुछ लोग प्रशिक्षित हो भी जाते हैं तो वे पैसे की कमी से नये कृषि यंत्र नही खरीद पाते, हालांकि सरकार ने कुछ ऋण योजनाएं भी चलायी हैं, लेकिन उनकी पूरी और सही जानकारी उन्हें नही दी जाती ,जिसके चलते कुछ मुट्ठी भर लोग ही उसका फायदा उठा जाते हैं, कईं बार बैंक कर्मचारी भी सहयोग नही करते..।
उपरोक्त वजहो से किसान ,मुख्य धारा में नही आ पाते और बहुत जरूरी होते हुए भी खेती, युवाओं को आकर्षित करने वाला रोजगार नही बन सका..।
इसका मतलब सबसे पहले तो भारत का किसान जागरूकता की कमी और सही जानकारी के अभाव में पिडित है..।
अब बात करते हैं वर्तमान बिल के सम्बन्ध में ....!
जब बिल ड्राफ्ट होते हैं, पास होते हैं, तभी एक ऐसी एक्सपर्ट लोगो की सीमिति क्यूं नही बनती जो इन बिलो की सही व्याख्या करें और सही जानकारी किसानो को मिले, बिल में जो लिखा है, और उसे जमीनी स्तर पर कैसे प्रतिपादित किया जायेगा, सभी बातो को सही से समझाया जाये ताकि बीच में अपने अपने तरीके से लोग उसकी व्याख्या न करें, किसानो से सुझाव मांगे जाए, वो क्या चाहते हैं, पूछा तो जाये उनसे, कम से कम , लेकिन नही होता, ये सब...!
पारदर्शिता की कमी रहती ही रहती है, सरकारी कामकाज में... पता नही क्यूं ये बडी विडम्बना है अपने देश की..!
बिल में जितना मुझे मालूम है किसानों को तीन बातो पर आपत्ति है जो वर्तमान आंदोलन शुरू हुआ है,
१. किसान चाहते हैं, उन्हे Msp की गांरटी लिखित में दी जाएं..! खरीदे कोई भी उनकी फसल, लेकिन न्यूनतम मूल्य से नीचे नही, जबकि सरकार कह रही हैं, हां ऐसा ही होगा लेकिन मौखिक रूप से..।
२. दूसरा सरकार ने जो भंडारण की छूट दी है ,किसानों के पास संशाधन ही नही कि लम्बे समय तक वो फसल स्टोर कर सके, दूसरी बात वही तो उसकी जिविका है, उसे घर में रखकर, पैसे कैसे आयेंगें घर खर्च के लिए..।
इसलिए भंडारण की कैपसिटी बढाकर, किसानो का कोई फायदा होता दिख नही रहा, ये व्यापारियों के हित की बात ज्यादा लगती है,
और तीसरी कुछ समस्याएं, या कन्फयूजन कोन्टरैक्ट फार्मिंग को लेकर हैं जो ओर स्पष्ट हों , देखा जाए तो विवाद है ही नही, सरकार को थोडा सही से एक्सपलेन करना है और कुछ राइट लिखित में देने हैं..!
क्या और कैसे होगा, ये सब.. हमारी अल्पबुद्धि में इतनी बाते नही आ सकती, लेकिन सरकार के पास तो हर क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं, पुनर्विचार कर लें, किसानो से बात कर लें, पानी फेंकने से , रास्ता रोकने से, कुछ ना होगा, ये भी देश का ही नुकसान है, ठंड का मौसम है, किसान सडक पर परेशान फिरे, अच्छी बात नही है ये, इधर गन्ने का सीजन भी अपने चरम पर हैं... खेती अगर खराब होती है तो उसका असर भी दूरगामी होगा..!
रही बात ये कहने की, कि ये किसान आंदोलन ना होकर राजनीति है, हां तो, राजनीति को कौन रोके, राजनीति वाले तो हर आंदोलन में घुस ही जाते हैं पक्ष में भी, विपक्ष में भी.. और खुद का फायदा उठाते हैं, बरगलाते भी हैं जनता को, और इसके अतिरिक्त कुछ अराजकतावादी तत्व भी घुस जाते हैं जो गलत सलत नारे लगा कर देश का माहौल ही बिगाड देते हैं, उन्हे ना किसानो से कुछ लेना देना, ना सरकार से, ना देश से..!
वो चंद पैसो के लिए राष्ट्र द्रोह का काम करते हैं, उनकी पहचान हो, उन्हें अलग किया जाए इन सब चीजो से, किसानो को भी समझ बूझ से काम लेना चाहिए और अपने बीच से ऐसे लोगो को निकाल बाहर करना चाहिए जो हिंसा भडकाते हैं..।
मेरी तो यही अपील है सरकार से भी और किसानो से भी, बातचीत के रास्ते आगे बढे और किसी तीसरे को अपना फायदा ना उठाने दे, देश हर चीज से ऊपर है, हमें हर हाल में समझना चाहिए..।।
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत खूब लिखा
थैंक्यू वर्षा जी
Informative
Thanks @kumar
काफी अच्छे तरीके से explain किया है, किसान- बिल को और अपना व्यक्तिगत पक्ष भी रखा है-- एक बार फिर उम्दा लेखन👌🏻👌🏻,सोनू जी💐
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