कुछ नहीं कुछ नहीं हुआ है जाओ बुरा सपना था.!
जोआज्ञा राजकुमारी बोल दासिया कमरे से बाहर चली जाती हैं राजकुमारी पूर्णिमा गुस्से में बोलती हैं कौन हो तुम बाहर आओ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे कक्ष में प्रवेश करने की??? उद्धव को देखते ही राजकुमारी बिना पलक झपकाए उसे देखती रह जाती हैं राजकुमारी के मन के तार झनझना उठते हैं मेरा नाम उद्धव है..! मैं आपसे मिलने आया था.। राजकुमारी ने प्रश्न किया पर क्यों.?? क्योंकि मैं इतने सालों से सिर्फ अपनी कल्पना में ही आपको देख रहा था इस वजह से जीवित था कि शायद किसी दिन आपसे मुलाकात हो ही जाए पर कल आप का स्वयंवर है आप दूसरे देश चली जाएंगी इसलिए आपसे मिलना जरूरी था...। तुम्हें डर नहीं लगा??? यहां तुम्हारी जान को भी खतरा हो सकता था राजकुमारी ने बोला..। आपको देखे बिना कौन से जिंदा रह जाता अब मौत मिलेगी तो कम से कम एक सुकून तो रहेगा...! ना चाहते हुए भी राजकुमारी उसकी तरफ आकर्षित होती चली जाती हैं... राजकुमारी समझ चुकी थी यही सात जन्मो वाली भावना है राजकुमारी बोलती है ऐसा लगता है मैं भी तुम्हें कई वर्षों से जानती हूं और तुम्हारे इंतजार में ही यहां बेचैन हो रही थी.. उद्धव आगे बढ़कर राजकुमारी को गले से लगा लेता है... इन सब बातों में सुबह कब हो जाती हैं पता ही नहीं चलता.. अचानक से दासी का कक्ष में प्रवेश होता है और वह उद्धव को देख कर जोर से चिल्ला उठती हैं सिपाहियों पकड़ो इसे राजकुमारी के कक्ष में कोई चोर घुस आया है। राजकुमारी उद्धव को भागने के लिए बोलती हैं.। उद्धव बोलता है कि अगर आज मेरे साथ आप नहीं चली तो आपका विवाह किसी और के साथ हो जाएगा..। राजकुमारी बोलती है मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकती वो तुम्हें मार डालेंगे.. उद्धव बोलता मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा राजकुमारी....... तभी सेनापति आता है और राजकुमारी को उद्धव से अलग करता है उद्धव जोर से चिल्लाता है छोड़ दो वह मेरी है सिर्फ मेरी है पूर्णिमा को मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता...। छोड़ दो.... राजकुमारी पूर्णिमा.... राजकुमारी पूर्णिमा कविता जोर से नितीश को हिलाती हैं...। उठो नितीश उठो क्या हुआ??? राजकुमारी पूर्णिमा तुम सिर्फ मेरी हो.... राजकुमारी पूर्णिमा इतने में नितीश के और कविता के परिवार वाले भी रूम में आ जाते हैं नितीश बोल रहा होता है तुम मुझे छोड़कर कभी मत जाना उनके घर वाली हंसने लगते हैं..। हां भाई सात जन्मों के बंधन में बांधने जा रहे हैं तो मैं 4 दिन बाद शादी है तुम्हारी वो कहीं नहीं जाएगी छोड़कर पर अभी तो तुम उसे छोड़ दो.। कविता शर्म से लाल हो जाती है... सब कमरे के बाहर चले जाते हैं!! कविता नितीश से पूछती है क्या हुआ था??? एक सपना देख रहा था नितीश बोला !! और यह पूर्णिमा कौन है??? नितेश कविता का हाथ पकड़ के बोलता है तुम मेरी जान.. और फिर शरारत में आंख मारते हुए बोलता हैं.... यार तुम तो सपने में भी पीछा नहीं छोड़ती..!! दोनों खिलखिला कर हंसते हैं...।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut badiya
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