सुनो सुनो सुनो सभी नगर वासियों को सूचित किया जाता है की राजकुमारी पूर्णिमा के विवाह के लिए दूर-दूर से राजकुमार उपस्थित होने वाले हैं इसलिए महाराज चाहते हैं कि यहां की जनता दूर देश से आने वाले परदेसियों के साथ में अच्छा व्यवहार करें जिससे हमारे प्रतापगढ़ की शान और शौकत के साथ-साथ यहाँ का अतिथि सत्कार की भी प्रसिद्धि हो...। वहा की हर गली कूचे में राजकुमारी पूर्णिमा के स्वयंबर की चर्चा होने लगी..। अरे सुना है राजकुमारी पूर्णिमा बहुत सुंदर है एक दुकान पर बैठे हुए कुछ लोगों ने बोला....। सुना तो मैंने भी है पर अब तक देखा आज तक नहीं मस्त मौला अंदाज का उद्धव हमेशा ही राजकुमारी पूर्णिमा के सपनों में खोया रहता था..। दुकान के आसपास बात चल रही थी कि कुछ गाड़ियां सोने चांदी के आभूषण वा वस्त्र लेकर के महल की ओर प्रस्थान करने वाली है..। क्या सच में उद्धव ने पूछा??? हां सुना तो यही है..!!! दूसरा व्यक्ति बोला हां मैंने भी पहाड़ी से दूर से गाड़ियां आती हुई देखी तो है... उद्धव ने मन ही मन यह संकल्प कर लिया की राजकुमारी का स्वयंवर होने के पहले वह उनको देखकर ही रहेगा.। चलो भाई अपना तो हो गया अब मैं चलता हूं उद्धव ने अपना झोला उठाया महल की ओर जाने वाली बैलगाड़ियों में छुपने की तरकीब सोचने लगा बैलों को चारा और पानी डालने के बहाने उद्धव रास्ते में ही खड़ा हो गया जिससे एक बैलगाड़ी चलाने वाला रुक गया..। उद्धव तुरंत उस बैलगाड़ी में पीछे की तरफ छुप गया और ऊपर से चादर डाल दी..। कीमती सामान होने की वजह से बैल गाड़ियों को बिना जांच किए ही महल के अंदर जाने दिया गया..। इतने बड़े महल में राजकुमारी पूर्णिमा को कैसे ढूंढता??? तभी उसकी नजर एक सुंदर उपवन की तरफ गई.. वहा एक कमरे में सुंदर लताएं लटक रही थी अपने आप में ही वह आकर्षक का केंद्र बना हुआ था..। उद्धव उसी तरफ चलता चला गया..। कमरा सच में राजकुमारी का ही था..। दासिया खिल खिलाकर राजकुमारी से बात कर रही थी...। पता है राजकुमारी जी बहुत ही सुंदर सुंदर राजकुमार आपके स्वयंवर में आए हुए हैं.। हां हां राजकुमारी सब एक से बढ़कर एक वीर लग रहे हैं.। एक दासी बोलती है पर राजकुमारी आप इतनी उदास क्यों है आप अपने स्वयंवर से खुश नहीं??? राजकुमारी पूर्णिमा जवाब देती है पता नहीं दासी.. अगर कल स्वयंवर में मुझे किसी भी राजकुमार को देखकर वह सात जन्म वाली भावना नहीं आई तो..?? दासिया खिलखिला कर हंसने लगी सात जन्म वाली भावना ये क्या होता है...? राजकुमारी पूर्णिमा शरमाते हुए बोली जब किसी को देख कर आप की धड़कन तेज हो जाए और मन ही मन उस पर पूर्ण रूप से समर्पित हो जाए इन भावनाओं को ही सात जन्म वाली भावना कहते हैं मैंने उपन्यास में पढ़ा था..। अच्छा ठीक है राजकुमारी वह तो कल पता चल ही जाएगा अभी आप विश्राम कर लीजिए वरना प्रात:काल उठने में बहुत विलंब हो जाएगा..। राजकुमारी अपने कक्ष में सोने चली जाती हैं...। उद्धव कमरे से लटक रही शाखाओं के माध्यम से राजकुमारी के कमरे में प्रवेश करता है पास जाकर राजकुमारी के चेहरे को देखता है जो उसके मन में काल्पनिक रूप था वह सच हो चुका था वह जो कल्पना राजकुमारी की करता था राजकुमारी उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर थी अचानक राजकुमारी की आंख खुल जाती है और उद्धव को अपने नजदीक पाकर के उनके मुंह से चीख निकल जाती है..। उद्धव अपना हाथ राजकुमारी के मुंह पर रखता है चुप रहने के लिए बोलता है...। कुमारी की आवाज सुनकर की दासिया कमरे में चली जाती है क्या हुआ क्या हुआ राजकुमारी????......
क्रमशः...
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