बड़ी चहक रही थी आरती आज।शादी 7 फरवरी तय हुई थी और उसे खुशी इस बात की थी शादी के तुरंत बाद वैलेंटाइन डे होगा और वो अपने जीवनसाथी के साथ होगी।सोच सोच के उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था।उसने हमेशा से चाहा था कि कोई उसे भी गुलाब दे,टेडी दे ,उसके लिए प्यार भरी शायरी लिखे।कितने सपने वो बुनने लग गयी थी।
वैसे तो आकाश थोड़ा कम बात करते थे और वैलेंटाइन सप्ताह के बारे में उन्हें कुछ पता ही नहीं था।पर उसे विश्वास था कि कोई न कोई उन्हें जरूर बता देगा।शादी के समय जब वरमाला हुई तो आकाश ने उसे गुलाब दिया,अब तो उसे विश्वास हो गया था कि ये पूरा सप्ताह बड़ा ही रोमांटिक होने वाला है।शादी का दूसरा दिन रस्मों रिवाज़ों में बीत गया।उसे लगा कि उसे आज चॉक्लेट जरूर मिलेगी पर नहीं मिली।वह थोड़ी मायूस हुई।रात को भी उसने सोचा कि शायद आकाश उसे प्रोपोज़ करेंगे पर ये क्या!वो तो इतने थके थे कि बिस्तर पर बैठते ही सो गए।उसे बड़ा गुस्सा आ रहा था।ऐसा लगा सारे सपने चूर चूर हो गए थे।उसकी आँखे भर आयी।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई,सासूमाँ थी।उसने तुरंत सर पर दुपट्टा रखा और दरवाजा खोला।
"अरे बच्चे,अपना ही घर है।रात को ये पल्ला वल्ला रखने की ज़रूरत नहीं है।ये लो,तुम्हारी मम्मी ने बताया था कि रात को बॉर्नविटा पिये बिना तुम्हें नींद नहीं आती।ये लो और पी लेना।"
दूध का गिलास देख आरती को रोना ही आ गया।वैसे ही मन खराब था सासू माँ के प्यार को देख वह रो पड़ी।
"अरे क्या हुआ बच्चे,आकाश ने कुछ कहा क्या?ठहर अभी खबर लेती हूँ।"वो अंदर आयी और देखा कि आकाश तो सो गया था।"एल्ले ये पगला तो सो भी गया।"
"कुछ नहीं माँ,आप दूध ले कर आई न तो मम्मी की याद आ गयी।"आरती फिर रोने लगी।सासू माँ ने उसे गले लगा लिया।उसे बड़ा सुकून मिला।सासूमाँ का वजन थोड़ा ज्यादा था जिसकी वजह से जब उन्होंने उसे गले लगाया तो उसे बड़ा अच्छा लग रहा था।सासूमाँ जब कमरे के बाहर निकली तो उनकी नज़र कैलेंडर पर पड़ी।14 तारीख पर बड़ा सा दिल बना हुआ था।उन्हें समझते देर न लगी कि माज़रा क्या है।
सुबह उठने में आरती को देर हो गयी।जैसे तैसे जल्दी जल्दी नहा धोकर नीचे आयी तो देखा नाश्ता टेबल पर लग चुका था।"आज तो तू गयी आरती।"डर के मारे उसे पसीने आ रहे थे।टेबल पर एक गुलाब था और एक चॉक्लेट ।आरती ने उठाया तो उसमें एक नोट लिखा था 'मेरे नए प्यार के लिए'।वह उछल पड़ी।पलट कर देखा तो एक बहुत बड़ा टेडी बाँहें फैलाये खड़ा था।आरती को लगा आकाश है और वह दौड़ के टेडी के गले लग गयी।
"थैंक यू सो मच।मुझे लगा आपको पता ही नहीं है वैलेंटाइन के बारे में।आई लव यू।"उसने ज़ोर से टेडी को पकड़ लिया।
"किसे आई लव यू बोल रही हो?"पीछे से आकाश ने पूछा।
आरती सकते में आ गयी।"आप यहाँ है तो ये कौन है?"
तभी टेडी ने अपना मुखौटा निकाला।"मम्मी आप?"आकाश और आरती एक साथ बोले।
"क्यों मम्मी वैलेंटाइन सप्ताह नहीं मना सकती?मेरा नया प्यार है मेरी बहू तो मैंने सोचा उसे गिफ्ट दिए जाएं।मेरा बेटा तो नालायक है पर उसकी माँ तो होशियार है न।"
आकाश झेंप गया और आरती फ़िर अपनी माँ के गले लग गयी।
"माँ आप दुनिया की क्यूटेस्ट टेडी हो।मैं कितनी लकी हूँ कि मुझे आप मिली।इनका तो पता नहीं पर मुझे मेरा सच्चा साथी मिल गया है।अब से आप ही मेरी वैलेंटाइन हो। आई लव यू माँ।"उसने उनके गाल को चूमते हुए कहा।
"आई लव यू मेरी गुड़िया रानी।"जोर से झप्पी देते हुए सासू माँ बोली।
आज आरती को सचमुच का टेडी मिल गया था।
©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.