नवीन अंकल पूरी सोसाइटी के चहेते थे।कभी भी कोई भी काम हो हमेशा आगे रहते।नवरात्रि का पंडाल या होली मिलन समारोह,अंकल ही आयोजन का बीड़ा अपने हाथों में लेते।पानी नहीं आये तो अंकल को फ़ोन लगाते सभी या सोसाइटी में कोई भी अनबन,सब अंकल ही सुलझाते थे।शाम को सारे बच्चे उनके इर्द गिर्द घूमते।अंकल उन्हें कहानियां सुनाते, कभी कभी क्रिकेट भी खेलते।लॉकडॉन के दौरान भी चौकीदार,माली यहाँ तक कि सड़क पर घूमते जानवरों को भी नित खाना खिलाते।
पर परसों ही पता चला कि अंकल को कोरोना संक्रमण हो गया है।रीता आंटी संक्रमण से बच गयी।अंकल को घर में ही क्वारंटाइन कर दिया गया था।अचानक ही सबका व्यवहार उनके प्रति अलग हो गया।दूधवाला उनके घर दूध न देता,किरानेवाले ने समान पहुँचाने से मना कर दिया।सोसाइटी के कोई भी व्यक्ति उनके घर के आसपास न फटकता।पता नहीं कैसे दोनों अंकल आंटी गुज़ारा कर रहे थे।
दीवाली पर सबके घरों में रोशनी थी बस नवीन अंकल का घर सूना पड़ा था।पर किसी को कोई फिक्र न थी।तभी सोसाइटी के बच्चे मास्क पहने हाथों में दिए लिए अंकल के घर की बाहरी दीवार के पास खड़े हो गए।सबने दिए लगाए और उनके घर के आगे फूलों की रंगोली भी बनाई।घंटी बजाई तो आंटी बाहर आई और रोशनी देख चौक गयी।अंदर जाकर अंकल को भी ले आयी।दोनों की आंखें आंसुओं से भर गई थी।बच्चे ज़ोर से चिल्लाए,"हैप्पी दीवाली अंकल।"सभी बच्चों को सराह रहे थे और खुद पर शर्मिंदा भी।नन्हें बच्चों ने दीवाली के सही मायने सिखा दिए थे।
दीवाली कभी भी सिर्फ अपने घर को रोशन करना नहीं बल्कि अपने आस पास के अंधेरों को मिटाने का त्योहार है।
दीवाली के सही मायने समझिए,हर घर रोशन हो ये कामना कीजिये।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.