प्यार का स्वाद

चॉक्लेट डे के सही मायने बताती मेरी एक अनूठी कहानी।

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 10 Feb, 2022 | 1 min read
Day3 Loveisintheair #paperwifflove Choclateday

"हैप्पी चॉक्लेट डे बनी" दीदी ने एक बड़ी सी चॉक्लेट नन्हे से बनी को दी।"पर आज मेरा बर्थडे नहीं है दीदी।"मासूमियत से वो बोला।"अरे पागल आज चॉक्लेट डे है।तो आज के दिन हम जिसे प्यार करते है उसे चॉक्लेट देते है।"

"पर हम जिसे प्यार करते है उसे तो पता है न तो चॉक्लेट क्यों देना?"बनी ने फिर सवाल पूछा।"उफ्फ हो ये लड़का भी न !" दीदी वहाँ से चली गयी।

"हमें तो चॉक्लेट उसे देनी चाहिए जिसे कोई प्यार ही न करता हो।"उसने मन ही मन सोचा।

दादू के साथ जब वह मंदिर जा रहा था तब भी यही बात उसके मन में घूम रही थी।"दादू ऐसा कौन होता है जिसे कोई प्यार नहीं करता?"

"बहुत सारे लोग है बनी जिन्हें कोई प्यार नहीं करता।उन्हें समाज से निकाल दिया जाता है या ये कहो कि उन्हें कोई अपनाना नहीं चाहता।वो भी हमारे जैसे होते है पर किसी की जाति अलग है या किसी के पास पैसे नहीं है।"दादू ने उसे समझाया।

आगे जाम लगा था।"बनी में आगे देखकर आता हूँ।तुम गाड़ी में ही बैठे रहना उतरना बिल्कुल भी नहीं।मैं बस पाँच मिनट में आया।"दादू ने कहा और गाड़ी से उतरकर आगे चले गए।

बनी बाहर देख रहा था कि उसने देखा एक औरत हर कार के पास जाकर कुछ माँग रही है और सब उसे पैसे दे रहे है।ध्यान से देखने मे वह कुछ अलग सी लगी।

माथे पर बड़ी सी बिंदी,नाक में बड़ी सी कील,जूड़े में फूल, सबकुछ औरतों जैसा था पर फिर भी बनी को वह अलग लग रही थी।तभी किसी एक कार वाले ने उसे धक्का दिया और वह गिर गयी।वह उस पर चिल्लाने लगी और उठ के सड़क के किनारे बैठ गयी।बनी सब ध्यान से देख रहा था।दादू अभी तक नहीं आये थे।बनी उस औरत के पास जाना चाहता था।उसने जैसे ही दादू को देखा ,गेट खोल के फुटपाथ की तरफ दौड़ा।

"अरे बनी कहाँ जा रहा है?"दादू चिल्लाये पर वह न रुका।

"आंटी आपको लग गयी क्या?"उसने प्यार से उस औरत से पूछा।

"जा यहाँ से लड़के।"कोहनी से रिसते खून को अपने पल्लू से पोछते हुए बोली।

"वाह आप तो कमाल हो,लगते आंटी जैसे हो पर आवाज़ तो अंकल जैसी है।ऐसा हर कोई थोड़े ही होता है।"बनी मुस्कुराया।

"तुझे पता है कौन हूँ मैं?हम लोगो को किन्नर कहा जाता है।हम समाज से अलग होते है।जा अपनी मम्मी के पास वरना लोग समझेंगे कि मैं बहला के तुझे ले जाऊंगी अपने साथ।"उसने फिर बनी को डाँटा।

"आंटी आप गुस्सा मत हो।जरूरी नहीं न समाज हमेशा सही समझे।"मासूमियत से वह उनकी चोट पर फूंकने लगा और दादू भी आ गए।"दादू जल्दी से फर्स्ट एड किट से पट्टी ला दो ऑन्टी को लग गयी है।"दादू तुरन्त कार की तरफ चल दिये।

उसकी आँखों मे आँसू आ गए।"आप रो मत आंटी,अभी ठीक हो जाएगा।आप न ये खा के देखो।"ज़ेब से उसने चॉक्लेट निकाली और एक टुकड़ा उनके मुँह में डाल दिया।

"आप यह पूरी ले लो।हैप्पी चॉक्लेट डे।"और बनी उनके गले लग गया।उन्होंने भी उसे कस के पकड़ लिया।

दादू भी मुस्कुरा रहे थे।

"साब, ये आपका बच्चा ,बच्चा नहीं है फरिश्ता है फरिश्ता।आज पहली बार किसी ने प्यार जताया है।आप तो जानते है कि हमें कैसे देखा जाता है।जीवन में पहली बार चॉक्लेट खाई है।कोई हमें भी प्यार कर सकता है?प्यार का स्वाद ऐसा होता है आज पता चला।"वह फूटफूट कर रोने लगी।दादू ने उनके हाथ पर मरहम लगाया।

बनी दादू का हाथ पकड़ चल दिया और कार में बैठ के उनकी तरफ हाथ हिलाया।बड़ा खुश था आज बनी,सही मायनों में उसने चॉक्लेट डे मनाया ।


क्यों न कभी चॉक्लेट डे उनके साथ मनाया जाए जिन्होंने कभी प्यार का स्वाद ही न चखा हो।

©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा

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