मेरी अनोखी प्रेमकहानी

प्रेम किसी भी बंधन में नहीं बंधता।वह कभी भी,किसी से भी हो जाता है।तो पढ़िए एक सचमुच अनोखी प्रेम कहानी।

Originally published in hi
Reactions 2
783
Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 21 Sep, 2021 | 1 min read

अभी स्कूटर रोका ही था कि अनायस नज़र शर्मा आंटी की बालकनी पर पड़ी।पिंकी गोद में अपनी बिटिया लिए न जाने किस सोच में खड़ी थी।मन हुआ ज़ोर से आवाज़ लगाऊँ।पर हिम्मत न हुई।मैं भी एकटक उसे ही देखे जा रही थी।क्या करूँ बचपन से यही वो चेहरा है जो हरदम साथ रहता था।तभी बारिश शुरू हो गयी और पिंकी की नज़र मुझ पर पड़ी।मैं मुस्करायी तो वह रो पड़ी।उसका रोना मेरे मन को विचलित कर गया।रात भर नींद न आई मुझे और ऐसे करवटें बदलते बदलते मैं अतीत की गलियों में पहुँच गयी।


चार लड़कियों के बाद मैं पैदा हुई तो मेरी बहनों ने मुझे लड़को के कपड़े पहनाये और कहा, "अब से यही हमारा भाई है।हम इसको ही राखी बांधेंगे।"नाम रखा गया संजू।बस स्कूल के फॉर्म में ही मेरा लिंग महिला भरा जाता।मेरी परवरिश लड़कों जैसे ही हुई।पिंकी मेरी पड़ोसी थी और मेरी स्कूल की साथी।कोई उसे छेड़ता या परेशान करता तो मैं उसकी पिटाई कर देती।हमेशा साथ बाजार जाना,कोचिंग जाना यहाँ तक कि डॉक्टर पर भी संग ही जाते।हम घंटों छत पर बैठ गपशप करते।उस दिन ज़ोर से बारिश हो रही थी और हम दोनों छत पर भीगने आ गए।हम दोनों पूरी तरह से भीग गए थे।"ओए संजू!ठंड लग रही है मुझे।"कह पिंकी मेरे सीने से लग गयी।उसकी गर्म साँसों को मैं महसूस कर रही थी।पता नहीं कुछ अजीब सा लग रहा था।उसके काँपते होंठो को चूमने का मन कर रहा था।


उस दिन के बाद से जब भी पिंकी मेरे पास आती मेरी दिल की धड़कने बढ़ जाती।सब कहते "संजू ,तू लड़का होती तो पिंकी की शादी तुझसे ही करवाते।"मैं भगवान से अक्सर लड़ती कि मुझे लड़की क्यूँ बनाया।शरीर भले ही औरत का था पर मन से मैं आदमी ही थी।मुझे घुटन महसूस होती थी अपने सीने को देख कर।क्या प्यार सिर्फ लड़का और लड़की में ही हो सकता है क्या?


पिंकी का जन्मदिन आने वाला था।वह इक्कीस साल की होने वाली थी।मैंने दो दिन मेहनत कर छत को पूरी तरह से सजाया।रात बारह बजे मैं उसे छत पर ले आयी।सारी तैयारियां देख उसकी आँखों में आँसू आ गए।"संजू मुझे लगता है इस पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तू ही प्यार करती है मुझे।"कह पिंकी ने मुझे गले लगाया।उस दिन मेरा दिल बेकाबू हो रहा था।मैंने उसे उसके होठों को अपने होठों से छू लिया।हम दोनों जैसे खो गए।हमारी धड़कने जैसे एक हो रही थी कि अचानक पिंकी ने मुझे धक्का दिया।"पागल हो गयी है संजू।यह गलत है।यह गलत है।"और रोती हुई वो चली गयी।


अब वह न मुझसे मिलती न बात करती।कुछ महीने बाद उसकी शादी हो गयी।आज बरसों बाद उसे देखा तो वापस वही भाव मन में बार बार आ रहे थे।सुबह हो गयी तो मैं छत पर चली गयी।देखा पिंकी वहाँ पर खड़ी रो रही थी।मैं पास गई तो मुझसे लिपट गयी।"संजू,अब मैं कैसे रहूँगी अकेली अपनी बेटी के साथ?"वह रोये जा रही थी।मैंने उसके सर पर हाथ फेरा।"अभी मैं हूँ पिंकी और तुम जानती हो इस दुनिया में कोई है जो तुम्हें खुद से भी ज्यादा प्यार करती है।"उसने मेरी आँखों में देखा पर शायद कुछ समझ न पाई।


शाम को मैं अपनी माँ को लेकर पिंकी के माता पिता के पास गई।सभी बहनें भी बुला ली थी।"आप सभी को कुछ कहना चाहती हूँ।माँ आप जानती है कि मैं कभी शादी नहीं करूँगी।आपका बेटा हूँ मैं।अंकलजी पिंकी के साथ जो हुआ वो दुःखद था और अब वह वापस नहीं जाएगी उस घर में।तो मैंने फैसला किया है कि पिंकी मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी मेरी जीवनसंगिनी बनकर।माँ आप समझो आपको बहू मिल गयी और अंकलजी आप समझिए कि आपकी बिटिया को नया घर मिल गया।नन्ही परी के लालन पालन की जिम्मेदारी अब मेरी।"


सब अचंभे में थे।"पर समाज" माँ बोली।


" माँ मैंने कभी समाज की परवाह नहीं की। मैंने हमेशा पिंकी को चाहा है।मेरे लिए बस वही मायने रखती है।शादी नहीं कर रहे हम।बस अपनी ज़िंदगी साथ बिताना चाहते है।"मैंने कहा।


"संजू,आज तुम और पिंकी एक नई,एक अनोखी प्रेम कहानी का हिस्सा बन गए हो।समाज के लिये एक मिसाल।प्रेम किसी बंधन से नहीं बंधता।न उम्र,न धर्म और न ही लिंग।तुम्हारी जोड़ी सदा बनी रहे।"दीदी ने आशीर्वाद दिया।


पिंकी का हाथ थाम मैंने परी को गोद में उठा लिया और चल पड़ी अपनी प्रेम कहानी को जीवंत करने।


©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा


2 likes

Published By

Dr.Shweta Prakash Kukreja

shwetaprakashkukreja1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    अद्भुत

  • Moumita Bagchi · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहद खूबसूरत👌🏻👌🏻संपूर्णतःअलग स्वाद की एक असाधारण प्रेम कथा!!

  • Vinita Tomar · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर

  • Dr.Shweta Prakash Kukreja · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया रुचिका जी,मौमिताजी और विनीता जी❤️

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    wah bahut badiya unique story

Please Login or Create a free account to comment.