आज बड़ा ही अनमना से हो रहा था उनका मन।ऐसे नहीं था ये सब वो पहली बार देख रही हो।पर साठ साल की उम्र में ये सब अजीब लगता है।
विदाई के बाद जैसे ही वह कमरे में आई तो सजावट देख कर दिल ज़ोरो से धड़कने लगा।
बरसों पहले अमित उसे सोनू और शिनी के साथ अकेला छोड़ गए थे।वक़्त के साथ उसने अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाया था।सोनू आज डॉक्टर है और एक प्यारे से बच्चे का पापा भी।शिनी भी प्रोफेसर है और शादी को सात महीने हो गए थे।कुछ महीनों पहले न जाने दोनो को क्या सूझा वे शिखा जी के पीछे पड़ गए दूसरी शादी के लिए।
"माँ भाई और मैं अपनी लाइफ में सेटल है अब आपको भी अपने बारे में सोचना चाहिए।इस तरह हम दोनों भी निश्चिन्त हो जाएंगे।"शिनी के कहा।
"अच्छा तो अब तुम दोनों अपनी माँ की ज़िम्मेदारी लेने से डर रहे हो।साठ साल की उम्र में कोई शादी करता है क्या भला?"शिखा जी बोली।
"क्या माँ कैसी बातें कर रही हो।आपके के लिए हम दोनों हमेशा हाज़िर रहेंगे।पर हम कुछ और चाहते है माँ।आपके लिए एक ऐसा साथी जो आपके साथ समय बिताए।आपका ध्यान रखें।"सोनू बोला।
"तो मैं मेरे पोते पोतियों के साथ समय बिताऊंगी न।सत्संग जाया करूंगी।अपने पौधों की देख रेख करूँगी।बस ये करने को न कहो।लोग क्या कहेंगे?इस उम्र में शादी करने की सूझी है।तुम दोनों कुछ नहीं समझते।"शिखा जी गुस्से में बोली।
"लोगों ने तब कुछ क्यों नहीं कहा जब आप हम दोनों को अकेले पाल रही थीं।तब क्यों नहीं कोई आगे आया?"शिनी बोली।
वो दोनों नहीं माने और एक दिन वे सब सुमित जी के घर आये।उनकी पत्नी नहीं थी और बेटा बहू अमेरिका रहते थे।बातचीत हुई और फिर सुमित जी को शिखाजी के साथ बातचीत के लिए छोड़ दिया गया।शिखा जी को वो ठीक लगे पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।दो महीने तक बातचीत करने के बाद अंततः शादी हो गयी।शादी बड़ी ही साधारण तरीके से हुई थी।
जैसे ही वह कमरे में आई तो सजावट देखकर घबरा गई।पूरे बिस्तर को गुलाब से सजाया गया था।आस पास कई मोमबत्तियां जल रही थी।शिखा जी को सब अच्छा लग रहा था पर उन्हें घबराहट भी हो रही थी।जीवन में इतने काँटे देखे थे कि फ़ूलों से डर लग रहा था उन्हें।
तभी सुमितजी आ गए।"क्या हुआ शिखा जी आपने चेंज नहीं किया अभी तक? बाथरूम उस तरफ है।"
शिखा जी ने कपड़े निकाले और बाथरूम गयी।बाहर आ कर देखा तो सुमितजी ने बिस्तर साफ कर दिए थे और मोमबत्तियां बुझा रहे थे।शिखाजी को देखते ही उनके पास आये,"ये गुलाब आपके लिए एक नई शुरुआत के लिए।जीवन के इतने साल अकेले गुज़ारे है पर कोई शिकायत नहीं है।अब मैं चाहता हूँ कि आने वाला समय एक दूसरे के साथ हम अपने आप को पहचानने में गुज़ारे।जो अब तक नहीं कर पाए अब कर लेते है।थोड़ा सा जीवन अपने लिए भी जी लेते है।क्यों क्या खयाल है पार्टनर?"सुमितजी की बात सुन शिखा जी की आंखे भर आयी।
"ओह कुछ गलत कहा क्या?"सुमित जी ने उनके आँसू पोछे और माथे पर एक प्यार भरा चुंबन दिया।बरसों के बाद एक अलग प्यार का एहसास हुआ जो शरीर,रूप और उम्र से परे था।उनके इस स्पर्श ने जैसे दिल के एक कोने को फिर से जिंदा कर दिया था।शिखा जी ने अपना सर सुमित जी के कन्धों पर टिका दिया।उनका हाथ अपने हाथों में ले आँखें बंद कर ली।
एक नए सफर की शुरुआत हो रही थी,एक नई मोहब्बत की शुरुआत।
©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा
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