तो क्या हुआ जो उसे बुख़ार नहीं,
हँस बोल रहा,कहीं से भी लाचार नहीं।
कुछ है जो उसका हँसता चेहरा छुपा रहा,
राज़ कोई मन में उसके हर दिन गहरा रहा,
सबका साथ देने वाला,आज खुद अकेला है,
हर दौड़ में अव्वल आने वाला,क्यों आज ठहरा सा है?
भीड़ में रहने वाला क्यों अब सबसे कतरा रहा
'ठीक हूँ मैं' यह अफवाह हरपल फैला रहा,
उसने नहीं पुकारा, पर बैठ लो उसके साथ,
न बनो उसका सहारा,बस सुन लो उसकी बात,
हमारे आस पास ही है वो,ध्यान से देखो तो ज़रा,
कौन है जो मुस्कुराहट से अपने आँसू छुपा रहा।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Amazing
Thanks dear
Please Login or Create a free account to comment.