लंबा हुआ इंतज़ार

लॉकडाऊन लगते ही एक बेटी का बढ़ जाता इंतज़ार

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 17 Apr, 2021 | 1 min read

आज एक ऐसे मन की बात कर रही हूं... जो अपनो के बीच है उदास...मन में बस लिए एक आस......

लॉकडाउन में हर कोई है बेज़ार,

पर कहीं बेटियों ने घर कर दिए है गुलज़ार।


जिनके बिना सन्नाटा था पसरा,

देता वो आंगन अब खुशियों को आसरा।


पर है एक ऐसी जिसका लंबा हुआ इंतज़ार,

'परीक्षा के बाद आऊँगी' कहती थी माँ से बारंबार।


बाबा की नई शर्ट देखे,सहेजे फिर माँ की साड़ी,

पीहर की गली जाने की कब आएगी उसकी बारी।


दिनभर परिवार के साथ अपना तनमन खोये,

रात को बाबा की बिटिया अपना तकिया भिगोये।


'यही वक़्त क्यों चुना' ईश्वर से पूछे मन,

'लॉकडाउन और बढ़ेगा' सुन बढ़ जाये धड़कन।


बाट जोहती पूरे साल, करे प्रतीक्षा घर जाने की,

जिम्मेदारी का चोला उतार, बनने चिड़िया अम्मा की।


आँसुओ को छुपाती,करती अपनो पर हँसी न्यौछार,

इस 'लॉकडाउन' ने लंबा किया उसका इंतज़ार।


© डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा


#कोरोनाकहानियां #missinghome #poetry #lockdown #missingma? #love

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