मैं भी बहादुर बनूँगी।

बहादुर होने के लिए बस हिम्मत चाहिए,पैसा या हथियार नहीं।सिर्फ लड़के बहादुर होते है इस धारणा को नकारती एक कहानी।

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 18 Jan, 2022 | 1 min read
Paperwiffkids Story Hindi Bravery

"क्या आप जानते है कि मनु बस तेरह बरस की थी और इतनी बहादुर कि अपने साथियों को भी पीछे छोड़ दिया करती थी।"टीचर ने सभी बच्चों को रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर दिखाते हुए कहा।

"मैं भी बहादुर बनूँगी,मैडमजी।"पूजा खड़ी होकर जोश में बोली।

"बहादुर नहीं बाई बनेगी बाई।"किसी ने पीछे से बोला और पूरी क्लास पूजा पर हँसने लगी।मायूस होकर वह अपनी जगह पर बैठ गई।

"चुप हो जाओ सब"टीचर ने झिड़की दी।

पूजा के साथ हर रोज़ यह होता था।उसकी माँ,रानी स्कूल में ही बाई थी।बस पूजा का यही अपराध था कि वह बाई की बेटी थी।न उसके साथ कोई खेलता न बैठता।वह पूरी कोशिश करती दोस्त बनाने की पर कोई उससे बात ही नहीं करता था।

उस रोज पूजा बड़ी खुश थी।पहली बार पिकनिक पर जा रही थी।सभी बच्चे बस में बैठ गए और एक दूसरे का सामान देखने लगे।जैसे ही पूजा आयी सभी उसे चिढ़ाने लगे।सौरभ बोला,"देखो देखो बहादुर रानी लक्ष्मीबाई भी आई है।"इस पर मुस्कान बोली,"अब पिकनिक पर भी तो बाई की ज़रूरत होगी न,तो ये तो आएगी ही न।"फिर सभी पूजा पर हँसने लगे।आज तो उसे रोना ही आ गया।

"मुझे इन बच्चों जैसा क्यों नहीं बनाया भगवान?"मन ही मन वह सवाल कर रही थी।

सभी लोग झरने के किनारे बैठ गए।

"कोई बच्चा आगे नहीं जाएगा।सभी यही बैठेंगे।"टीचर ने सभी को हिदायत दी।कोई अंताक्षरी खेलने लगा तो कोई लूडो।सौरभ और अंकित फ़ोटो खींच रहे थे कि अचानक सौरभ का पैर फिसला।"अरे,कोई बचाओ सौरभ नीचे गिर गया है।मैडम सौरभ गिर गया है।"अंकित ज़ोर से चिल्लाया।सभी वह पहुँचे पर नीचे झांकने की हिम्मत किसी कि न हुई।पूजा पत्थरों से होते हुए दूसरी ओर पहुँची तो देखा सौरभ झरने के पास एक पेड़ पर लटका हुआ था।

वह वापस पहुँची,"मैडम सौरभ पेड़ पर है।हमें रस्सी चाहिए हम उसे बचा लेंगे।"

"रस्सी कहाँ से आएगी?"मैडम घबरा कर बोली।

पूजा को कुछ सूझा और उसने तुरंत अपने कपड़े उतारे और फ्रॉक का सिरा मैडम के दुपट्टे से बांध दिया।पर इससे बात न बनी।फिर क्या सभी बच्चों ने अपने कपड़े उतारे और उन कपड़ो को बांध कर एक रस्सी तैयार की।

बड़ी सावधानी के साथ धीरे धीरे सौरभ ऊपर आया।

सभी बच्चे तालियाँ बजाने लगे।

"पूजा आज तुमने सबको सीखा दिया कि बहादुरी सिर्फ लड़को के पास नहीं होती। तुम्हारी सूझबूझ ने आज सौरभ को बचा लिया।"टीचर ने उसकी पीठ थपथपाई।

"हाँ मैडम पूजा शायद हमारी तरह संपन्न नहीं है पर उसने जो किया वह हम में से कोई नहीं कर सकता।हमें माफ कर दो पूजा।"सौरभ रुंधे स्वर में बोला।

आज पूजा दिल्ली गयी है।राष्ट्रपति से उसे बहादुरी के लिए सम्मान जो मिलने वाला है।सच बहादुर होने के लिए सिर्फ हिम्मत ही काफ़ी है।



©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा



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