रंग बदलते लोग

सच इंसान गिरगिट से भी जल्दी अपना रंग बदल लेता है।बेचारा गिरगिट तो यूँ ही बदनाम है।

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 30 Mar, 2022 | 1 min read

बड़ा सूटकेस उठाने में दिक्कत हो रही थी पर फिर भी मैंने कुली से मदद न ली।स्टेशन की बेंच पर बैठ गयी।अभी पसीना पोंछ ही रही थी कि सामने एक औरत पर नज़र पड़ी।

"लग तो रितु ही रही है।वही नैन नक्श,गोरा रंग पर वो रौनक नहीं है।"दिमाग पर बड़ा ज़ोर डाल कर उसे देख रही थी मैं। गोदी में एक बच्चा और दूसरा यहाँ वहाँ भाग रहा था।बच्चा दूर जाता तो वह चिल्लाती और उसके चिल्लाते ही छोटा वाला रोने लगता।बेचारी! तभी नज़र बगल में बैठे एक आदमी पर पड़ी।अरे!यह तो रोहित है।अपनी नज़रे मोबाइल पर गड़ाए हुए था और रितु दोनों बच्चे संभाल रही थी।पर ये वो रितु नहीं थी जिसे वो बचपन से जानती थी।

उसकी सहेली रितु तो पढ़ने में अव्वल थी।गणित के सभी सवाल वही मुझे समझाया करती थी।स्कूल के बाद हम दोनों ने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया।उसने विज्ञान विषय लिया और मैंने इतिहास।जल्द ही रितु की धाक पूरे कॉलेज में जम गई थी।सभी लड़के उसके इर्द गिर्द घूमते रहते पर उसे बस एक ही धुन सवार थी,अपनी पढ़ाई।सिविल सर्विसेस में जाना चाहती थी वो,अपने घर का नाम रोशन करना था उसे।उन्ही दिनों एक वाद विवाद प्रतियोगिता के लिए वह दूसरे कॉलेज गयी जहाँ उसकी मुलाक़ात रोहित से हुई।कुछ दिन बाद वह बोलने लगी,

"बड़ा ही सुलझा हुआ लड़का है रोहित।पता है दो बार प्री निकाल चुका है।उसने कहा है कि मेरी भी मदद करेगा।"रितु की बातों से समझ आ रहा था कि वह रोहित से आकर्षित हो चुकी थी।

धड़ाम!!एक ज़ोर सी आवाज़ आई और मैं यथार्थ में वापस आयी।एक बच्चा बेंच से गिर गया था जब रितु दूसरे के पीछे जा रही थी।

"कहाँ ध्यान रहता है तुम्हारा।एक बच्चा नहीं संभाला जाता।"रोहित ज़ोर ज़ोर से चीख रहा था।रितु ने बच्चे को उठाया और दोनों बच्चों को ज़ोर से थप्पड़ मारा।

"मर क्यों नहीं जाते तुम दोनों या मैं ही क्यों नहीं मर जाती।"वह ज़ोर से चिल्लाई।

मुझे समझते देर न लगी कि रोहित के इश्क़ का रंग उतर गया था और अब वह अपने असल रंग में था।मात्र चार महीनों में उसने रितु को अपनी बातों में फंसा लिया था।कितना मना किया था हम सबने की शादी न करो।

"अरे पगली हम दोनों का लक्ष्य एक ही है।साथ रहेंगे तो साथ में तैयारी भी कर पाएंगे।रोहित ने कहा है कि अब मेरा सपना उसका लक्ष्य है।"उसने मुझे समझाते हुए कहा था।

रोहित को मोबाइल पर व्यस्त देख बड़ा गुस्सा आ रहा था।कौन मानेगा ये वही लड़का है जिसने पूरे कॉलेज के सामने रितु को प्रोपोज़ किया था।उसके लिए फ़ूलों की बारिश करवाई थी।और तो और ये वही रोहित था जिसने अपने हाथों पर रितु के नाम का टैटू बनवाया था।

गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग नहीं बदलते होंगे जैसे इंसान बदल लेते है।रितु को इस तरह देखा नहीं जा रहा था।आज रोहित के इस रंग को देख मुझे इतना गुस्सा आ रहा था तो सोचो उसे कैसा लगता होगा ?कैसे उसने अपने सपने दफ़न किये होंगे?कैसे रोज़ उस आदमी के साथ रहती होगी जिसने कभी उसे रंगीन सपने दिखाए थे।

शायद इंसान ही वह प्राणी होगा जो इतनी बख़ूबी रंग बदल लेता है।कितना अच्छा होता अगर रोहित रितु को उसके सपने न सही पर एक अच्छी ज़िन्दगी तो 

सोचा आगे जाकर उसे गले लगा लूँ पर हिम्मत न हुई।पता नहीं कहीं उसके पुराने घाव हरे न हो जाये।एक गलत निर्णय ने उसके जीवन के सभी रंग चुरा लिए थे।मन ही मन मैंने ईश्वर से प्रार्थना की कुछ रंग तो भर दे वे उसके जीवन में।


©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा



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