कब से वह तैयारियां कर रही थी।डर भी लग रहा था कि पता नहीं वह कैसे लेगा इस सब को।आखिर उम्र का भी तो अंतर है।कहाँ वो चालीस की और वह महज़ सोलह साल का।पर क्या करे वह उसे बहुत चाहती थी।इतनी बार कोशिश कर चुकी थी और वो था कि बात ही नहीं करता था।
प्रोपोज़ डे था तो उसने एक बार फिर कोशिश करने की सोची।बार बार वह खुद को समझा रही थी,"टेंशन नहीं लो शिवानी क्या होगा,ज्यादा से ज्यादा नाराज़ होगा हर बार की तरह।चीज़े फेंकेगा या चिल्लाएगा।बुरा तो लगेगा मुझे पर कोई बात नहीं,है तो आखिर वो मेरा ही तो है।उसके कमरे को साफ कर सजाने के बाद वह बाहर आ गयी।अतुल आ चुके थे।आज उसने उनके साथ खाना नहीं खाया और टेबल पर 'उसका' इंतज़ार करने लगी।उसे कब नींद आ गयी उसे पता न चला।
वो देर से घर आया और टेबल पर 'उसे' नींद में देख बिना कुछ बोले कमरे की ओर चल दिया।जैसे ही कमरा खोला तो देखा पूरा कमरा मोमबत्ती की रोशनी में झिलमिला रहा था।अंदर आया तो देखा एक दीवार पर उसके बचपन की फ़ोटो लगी हुई थी।कहीं वह अपनी कार के साथ तो कही पापा की गोद में और माँ के साथ भी।उसके खिलौनें सब सलीके से सजे हुए थे।उसका मन भर आया।शायद जीवन में पहली बार इतना अच्छा लग रहा था,इतना खास।पर ये किया किसने?"पापा से तो उम्मीद नहीं है और वो क्यों करेगी मेरे लिए?"
अभी सजावट देख ही रहा था कि सामने एक बड़ा पोस्टर दिखा।"विल यू बी माइन?"उसे कुछ समझ न आया।एक लिफ़ाफ़ा उसके नीचे था उसने खोला तो एक पत्र था।
" साहिल,
सोच रहे होंगे कि ये किसने किया।पिछले आठ महीनों से तुम्हारे साथ हूँ पर तुमने एक बार भी मुझे नहीं देखा।हमेशा मुझे नकार दिया।तुम्हें पता है मैंने तुम्हारे पापा से शादी क्यों की?मैं कभी माँ नहीं बन सकती हूँ और इसी वजह से इतने समय तक किसी ने मुझे नहीं अपनाया।जब अतुल से मिली और तुम्हारे बारे में पता चला तो पता नहीं क्यों एक इच्छा उठी।तुमने अपनी माँ को खोया था और मैंने कभी एक माँ होने का एहसास नहीं किया था।मैंने सोचा मेरी सूनी गोद हरी हो जाएगी।मैं पूर्ण हो जाऊँगी।तुम्हारे पापा ने भी शादी इसलिए की कि हमारा कोई और बच्चा नहीं होगा।बस साहिल ही हमारा संसार रहेगा।
आज प्रोपोज़ डे है तो मैंने सोचा कि अपने मन की बात तुमसे कहूँ। सौतेला वो होता है जो किसी और का हो पर मेरे लिए तो तुम ही मेरे सब कुछ हो।
क्या मेरे वैलेंटाइन बेटे बनोगे?
क्या मेरी बुढ़ापे की लाठी बनोगे?
तुम्हारी माँ बनने की चाह में
शिवानी"
आज साहिल की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे।माँ के जाने के बाद आज वह रो रहा था।कितना गलत था वो।दौड़ के बाहर गया और देखा वो टेबल पर सर रख सो रही थी।उसने अपना सर उनकी गोद में रखा और बोला,"माँ आज खाना नहीं खिलाओगी क्या?"
शिवानी साहिल को गोद में देख रो पड़ी और उसका माथा चूम लिया।अतुल सब देख रहे थे,आज तो वो भी खुद को रोक नहीं पाए।आखिर आज साहिल को माँ मिल गयी और शिवानी की गोद भी हरी हो गयी।
©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा
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