"आंटी जल्दी टी वी खोलो।सिम्मी ने अपना वादा पूरा कर दिया।पूरी दुनिया के सामने आज वो खड़ी है।देखो जल्दी।"फ़ोन रख रेणु ने तुरंत न्यूज़ चैनल चलाया।
"अद्धभुत,अद्वितीय,पूरी दुनिया को अचंभित करने वाला ये पल एक भारतीय ने अपने नाम कर दिया है।इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर चलने वाली पहली भारतीय है सिम्मी चड्ढा।"तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सिम्मी इवनिंग गाउन पहने ,सर पर ताज सजाए ,अपना हाथ हिला रही थी।कैमरे की ओर देख उसने बोला,"शुक्रिया भारत।शुक्रिया ईश्वर इस पल के लिए।शुक्रिया माँ मुझ पर भरोसा करने के लिए।आज मैंने आपसे किया वादा पूरा किया।मैं आ रही हूँ माँ।"
देख रेणु की आँखे भर आयी।वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और अतीत की गलियों में पहुँच गयी।
शादी के तीन साल बाद जब राहुल हुआ तो पूरा घर खुशियों से भर गया था।"मेरे जिगर का टुकड़ा है।"पापाजी लाड़ से कहते।"मेरा लड्डू गोपाल है"मम्मी जी उसकी नज़र उतारती रहती।"मेरा गुरूर है मेरा बेटा।"अमित कहते न थकते और मैं बस उसे प्यार करती।
उसे अपनी छाती से लगा एक अनुपम सा एहसास होता।प्यार का एक नया मतलब सीख रही थी मैं अपने बच्चे के साथ।मेरे लिए बस वो मेरा हिस्सा था।
जैसे जैसे बड़ा हो रहा था सबसे डाँट खाता।"जब देखो लड़कियों के जैसे रोता रहता है।"
"ये बाहर क्यों नहीं जाता है,जब देखो घर मे घुसा रहता है।"
राहुल आम लड़कों जैसा नहीं था।बड़ा कोमल सा मन था उसका।गुड्डे गुड़ियों से खेलना बहुत पसंद था उसे।कभी कभी घंटों खुद को आईने में निहारता।उस दिन स्कूल में वह लड़की बना तो पापा ने उसे खूब मारा।पूरी रात वो मेरी गोद में सिसकता रहा।
उसके हाव भाव में बदलाव देख घरवाले बड़ा नाराज़ होते पर मैंने उसे हमेशा अपनाया।वो जैसा भी था मेरा बच्चा था।उसके भीतर एक द्वंद चल रहा था।कोई उसे समझ नहीं पा रहा था।कॉलेज में सब उसे चिढ़ाते और घर में सब उसे दुत्कारते।एक दिन उसने अपने मन की बात कही तो पापा ने उसे भला बुरा कहा।"निकल जा,निकल जा इस घर से।पैदा होते साथ मर क्यों नहीं गया।"राहुल जाने लगा तो मै भी उसके साथ चल पड़ी।"आप इसे छोड़ सकते है मैं नहीं।ये मेरा प्यार है मेरा बच्चा।वादा करती हूँ आपसे एक दिन आपके पास आऊंगी जब आपको इसपर नाज़ होगा।"
आगे का सफर भी मुश्किल था।राहुल की सर्जरी हुई ,उसका नाम बदला गया।पर मैं हमेशा उसके साथ रही।कई प्रयासों के बाद वह ट्रांसजेंडर मॉडल बनी और आज मिस वर्ल्ड ट्रांसजेंडर का ताज अपने नाम कर लिया उसने।वो राहुल हो या सिम्मी एक माँ के लिए वह उसका प्यार ही होता है।
अब सुकून से जाऊंगी उनके पास,सीना चौड़ा कर के,आखिर वादा जो पूरा किया है।
©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा
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