"जीवन के हैं रंग हजार, हर रंग में छिपी है बहार।"
होली रंगों का त्यौहार है जिसे बड़े हर्षोल्लास के साथ पूरे देश भर में मनाया जाता है।
कभी सोचा है अगर सब रंग सिर्फ होली पर ही नहीं अपितु सदा के लिए जीवन में बिखरा दिए जाएँ तो दुनिया कितनी खूबसूरत और प्यारी लगेगी। हर रंग की अपनी अलग महत्ता होती है जो मनुष्य के जीवन में भिन्न-भिन्न तरीके से अपना योगदान प्रदान करती है। हर रंग मनुष्य के जीवन में एक नई ऊर्जा, नई स्फूर्ति तथा नई आशा का संचार करता है। सभी रंग एक दूसरे से मिलकर ही बनते हैं इसलिए इनमें मोह का भाव प्रचुर मात्रा में होता है।
• लाल रंग
लाल रंग ऊर्जा, उत्साह, प्रेम, साहस और महत्वकांक्षा का प्रतीक है।यह संसार क्रियाशील है। सारे चेतनशील प्राणी कार्य करने में लीन रहते हैं। मनुष्य दिन रात सफलता पाने के लिए जतन करता है और सफलता पाने के लिए जरूरी है ऊर्जावान होना। भविष्य में सफलता मिले या ना मिले परन्तु मनुष्य को अपनी प्रवृति में प्रयत्न को शामिल अवश्य कर लेना चाहिए। एक साहसी व्यक्ति ही प्रयत्न के पथ पर अग्रसर हो पाता है।
• गुलाबी रंग
गुलाबी रंग सुंदरता, शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है। शक्ति मनुष्य में आशा का संचार करती है। आशा का आश्रय लेकर ही मनुष्य कर्मक्षेत्र में लीन होता है।
"गीता जैसा पवित्र ग्रंथ निराशाओं के मन में आशा का संचार करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।"
इसलिए कहा भी गया है कि निराशा पाप के समान है, जिसे मनुष्य में नहीं होना चाहिए तथा निराशा को जड़ से उखाड़कर फेंक देना चाहिए। मनुष्य को सदा ही आशावादी होना चाहिए क्योंकि एक आशा ही है जो मनुष्य के जीवन में उन्नति की सुंदर और रूचिकर आधारशिला है।
• पीला रंग
पीला रंग बौद्धिक विकास को दर्शाता है। पीला रंग प्रेम, ऊर्जा और खुशियों का प्रतीक है। पीला रंग अत्यंत ही शुभ माना जाता है इसीलिए हर शुभ कार्य में पीला रंग देखने को मिलता है।
मनुष्य का मन भी कुछ इसी प्रकार का है जिसमें खुशी का भाव ना हो तो सफलता प्राप्त करना कठिन ही नहीं अपितु नामुमकिन हो जाता है। खुशी, ऊर्जा और प्रेम के अभाव में मनुष्य का जीवन उन्नतिशील और सम्पन्न नहीं रहता। निराशावादी मनुष्य मंद, निष्ठुर और संचय में डूबा हुआ होता है तथा अंधकार के अंधेरे में मग्न होता है। मनुष्य की निराशा दूर करने के लिए पीला रंग उपयुक्त माना जाता है। कहा जाता है कि मंदबुद्धि बच्चों के कक्ष का रंग पीला हो तो उन्हें पढ़ाई करने में सहायता मिलती है तथा वो अपना ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं।
• हरा रंग
हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। हरा रंग मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास और प्रसन्नता की हरियाली लेकर आता है जिससे मनुष्य को ताजगी, परम शांति और सुख प्राप्त होता है। सकारात्मकता जीवन में एक विचित्र शक्ति स्त्रोत की तरह काम करती है तथा विलक्षण स्फूर्ति और उत्साह पैदा करती है। हरे रंग को कार्यक्षमता बढ़ाने में भी मददगार माना जाता है, इसलिए यह गौरव का प्रतीक भी माना जाता है।
• सफ़ेद रंग
सफ़ेद रंग जिसे संस्कृत भाषा में क्ष्वेत रंग भी कहा जाता है पूर्णता का प्रतीक है। सफ़ेद रंग दूसरे रंगों को रंग प्रदान करता है तथा हमें शान्ति, शुद्धता और त्याग की भावना से अवगत करवाता है।
शान्त मनुष्य दुखों को पार कर कर धीरे धीरे सुखों को प्राप्त कर लेता है। इसके सहारे मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है तथा दिव्य विकास की प्राप्ति होती है। मनुष्य जब त्याग करना सीख जाता है तभी उसे श्रेष्ठ माना जाता है तथा वह पूर्णता को प्राप्त कर पाता है।
• नीला तथा काला रंग
नीला रंग विशालता तथा अनंतता का प्रतीक माना जाता है। काला रंग अपने अन्दर सोखने का भाव दर्शाता है। जिस प्रकार आकाश और समुद्र अनंत हैं और अपने अन्दर सब कुछ समाने की क्षमता रखते हैं ठीक उसी प्रकार एक विशाल हृदय मनुष्य ही त्याग की प्रतिमूर्ति हो सकता है। ऐसा मनुष्य ही दूसरे के दुखों को अपने अन्दर समाकर उन्हें सुख की अनुभूति करा सकता है।
"हर रंग कुछ कहता है, हर रंग एक नई आशा की किरण और एक नई उम्मीद की ज्योति का समावेश किए हुए है जो मनुष्य को कल्याण के पथ की ओर अग्रसर करने में सहायता प्रदान करता है। मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो कल्याण को प्राप्त करने में समर्थ होता है।" इसलिए कहा गया है कि-
"आशा हि परमं ज्योतिः।"
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Har rang khas hi hota hai
जी बिलकुल।
Very well written
thank you sonu di
Absolutely true..Nice way to express
well written
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