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Shikhar Pandey
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मानवता
जो दिखते हैं वो लोग नहीं बस उनकी सुन्दर छाया है जिसे प्रेम समझ सब वार दिया वो प्रेम नहीं बस माया है यदि मानव खुद को कहते हो तो मानव सा कुछ कर्म करो पग पग पर सबको छलते हो अरे थोड़ी सी तो शर्म करो
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by shikharpandey
मानवता
01 Jun, 2024
मानवता
बदलाव हुआ कुछ ऐसा भी इंसान स्वयं से दूर हुआ भगवान् खुदही को कहता है ऐसा क्या मद में चूर हुआ मिटटी से आये हो कलको मिटटी में ही मिल जाना है जीवन तो भव की कस्ती है जिसको तो बहते जाना है
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by shikharpandey
मानवता
01 Jun, 2024
मानवता
धोखा देना बदला लेना इंसान तेरी फितरत में है पर कर्म किया जो उसका फल इंसान तेरी किस्मत में है जिस बल पर है अहम तुझे वो भी एक दिन मिट जाएगा साथ नहीं कुछ ले जाना सब यही धरा रह जाएगा
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by shikharpandey
मानवता
01 Jun, 2024
मानवता
जीवन मेरा मुश्किल होगा बस यही सोच घबराता हूँ और हाथ मेरा न छोड़ोगे अब यही मन मुस्काता हूँ यदि आज अंत हो जाएगा तो ईश्वर को क्या बोलूंगा जो जो मुझसंग है घटित क्यामद वो राज किधर मै खोलूंगा
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by shikharpandey
मानवता
01 Jun, 2024
मेरे मोहन
माधव की प्यारी मुस्कान से ये गोपियाँ तो जीवन के सब दुःख दर्द त्याग देती हैं और श्याम का वो नटखट बालपन देखने को गोपियाँ ये सब लोक लाज त्याग देती हैं
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by shikharpandey
मेरे मोहन
02 Jun, 2024
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