साहस एक नज़रिया है
एक सकारात्मक नज़रिये के सकारात्मक परिणाम होंगे क्योंकि नज़रिये संक्रामक होते हैं। ऐसा ही एक नज़रिया साहस है। एल्बर्ट हब्वार्ड ने कहा था, ‘साहस के बिना कभी भी कोई महान कार्य सम्पन्न नहीं हुआ है।’ एक अच्छे उपदेशक और एक महान उपदेशक, अच्छी माँ और महान माँ, अच्छे वक्ता और महान वक्ता अथवा अच्छे सेल्समैन एवं महान सेल्समैन में अन्तर अक्सर साहस का होता है। अँग्रेज़ी शब्द ‘Enthusiasm’ ग्रीक शब्दों en theos से आया है और इसका सीधा सा अर्थ है ‘परमात्मा अन्दर ही’। यदि आप ‘enthusiasm’ शब्द को ग़ाैर से देखें तो अन्तिम चार अक्षर एक अक्षरबद्ध कविता बनाते हैं, ‘iasm’ जिसके मायने हो सकते हैं ‘मैं स्वयं बिक गया’। यदि आप स्वयं बिक गये और यदि आप सच में अपने उद्देश्य, अपनी कम्पनी एवं अपने प्रॉडक्ट में विश्वास रखते हैं तो आप में साहस कहीं से बाहर से नहीं आता। आप में साहस आपके अन्दर के सभी संसाधनों के स्रोत से निकलता है।
वास्तविक साहस कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे आप मौके़ के मुताबिक़ ‘पहन लें।’ या ‘उतार दें’, यह जीवन का एक ढंग है, ना कि कोई ऐसी चीज़ जिसे आप लोगों को प्रभावित करने के लिए प्रयोग करें। इसका ज़ोर से बोलने या शोर मचाने से कोई लेना देना नहीं है, यह एक आन्तरिक अनुभूति की वाह्य अभिव्यक्ति है। बहुत से अत्यन्त साहसी लोग काफ़ी शान्त होते हैं, फिर भी उनके वजूद का रेशा-रेशा, एक-एक शब्द और कार्य इसी बात को प्रमाणित करते हैं कि वे ज़िदगी को और जो चीज़ उनके लिए मायने रखती है, उसे प्यार करते हैं। कुछ लोग जो साहसी होते हैं स्वभाव से ज़ोर से बोलते हैं परन्तु ज़ोर से बोलना ना तो इसके लिए आवश्यक है और ना ही यह ज़रूरी तौर पर साहस का कोई संकेत है।
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