सकारात्मक सोच
नज़रिया (दृष्टिकोण) शब्द कहते ही अधिकांश लोग सकारात्मक और नकारात्मक सोचने के ढंग के सम्बन्ध में सोचते हैं। हालांकि जैसा आप देख रहे हैं दृष्टिकोण के बहुत आयाम हैं परन्तु मैं इस वक्त उनमें जो सबसे अधिक परिचित है उस पर चर्चा करूँगा। आइये, नज़रिये के सकारात्मक पहलू पर इकट्ठे गौर करें। ‘सकारात्मक सोच’ की सर्वश्रेष्ठ परिभाषा जो मैं जानता हूँ वह मेरी बेटी सूज़न से मिली, जब उसकी आयु दस वर्ष की थी। मैं अभी पेन्साकोला, फ्लोरिडा से यू.स.नेवी के लिए बहुत से सेमिनारों का संचालन करके लौटा ही था। मेरे परिवार ने मुझे अटलान्टा एयर पोर्ट से ले लिया था और हम स्टोन माउन्टेन, जॉर्जिया में स्थित अपने घर की ओर जा रहे थे। मैं उस दौरे को लेकर काफ़ी रोमांचित था और अपनी रेड हैड को कुछ विवरण सुना रहा था। मैंने सूज़न की सहेली को उससे पूछते हुए सुना कि उसके डैडी जीवन-यापन के लिए क्या करते हैं । सूज़न ने उसे बताया कि मैं ‘सकारात्मक सोच की सामग्री’ बेचता हूँ। स्वाभाविक रुप से उस नन्ही सहेली ने जानना चाहा कि ‘सकारात्मक सोच की सामग्री’ क्या होती है। सूज़न ने समझाया, ‘ओह, यह वो चीज़ है जो आपको जब आप वास्तव में बुरा महसूस कर रहे हों तब भी वास्तव में अच्छा महसूस करा देती है।’ मैंने सकारात्मक सोच को इससे बेहतर ढंग से समझाये जाते हुए कभी नहीं सुना। आप किस तरह सोचते हैं यही निर्धारित करता है कि आप क्या बनते हैं।
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