पृथ्वी संरक्षण:
वर्तमान समय में जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है यह बहुत ही भयावह है। धरती का जलस्तर दिनों दिन घटता जा रहा है, प्राकृतिक जलस्त्रोत प्रदूषित हो चुके हैं। जंगल एवं वन्य जीवों का अस्तित्व संकट में है। वायु प्रदूषित हो चुकी है। वस्तुतः यह स्पष्ट रूप से पृथ्वी पर जीवन के ख़तरे का सूचक है।क्यों कि इसके भयानक असर भी दिखाई दे रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के रूप में।
कहा जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का अंत इस तरह से होगा कि पूरी धरती जलमग्न हो जाएगी। स्वाभविक रूप से दुनिया का तापमान बढ़ता जा रहा है, और इस कारण ग्लेशियर की बर्फ पिघल रही है। जब तापमान इतना बढ़ जाएगा कि सारी बर्फ पिघल जाएगी और वह रूप लेगी भीषण बाढ़ का जिसके मुताबिक धरती जलमग्न हो जाएगी। और यही जीवन के अंत का दृश्य होगा। आज के परिप्रेक्ष्य से देखा जाय तो यह अंत निकट ही प्रतीत हो रहा है।
अतः वनों का संरक्षण, वृक्षारोपण अनिवार्य है। तभी भौगोलिक तापमान नियंत्रित किया जा सकेगा। और इस प्रकार भीषण प्रलय को टाला जा सकेगा।
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