चाय दिवस
यारों के साथ एक कप चाय के लिए तरस गए,
जिंदगी बेरंग बेस्वाद ही मानो यूँ गुजर गई
कभी महफिलें जमती थी चाय के दीवानों की,
पर इस महामारी में हम ऐसे ही बसर गए।
काश की वो लम्हें फिर से जल्दी लौट आये,
वो टपरी पर बैठे हम चाय की चुस्कियां लगाए,
वो मोहब्बत भरी बातों में पल यूँ गुजर जाए,
प्यार मोहब्बत के अरमान हम दिल में जगायें।
Paperwiff
by ruchikarai