Ritu Sondhi

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दास्ताँ -ए- ईश्क
*दासतां-ए-ईश्क़* जब वो याद आते हैं, तो दिल रोता है। पल पल उनके प्यार की कमी का एहसास होता है। लाख मनाते हैं हम अपने पागल दिल को, मगर ये ना सम्भ्ले, बस उनही को पुकारता रहेता है। कभी तो आएगें पुकार सुनके, ये कहकर खुद्को बहलाता है। और हमे उन्के आने का, विश्वास दिलाता है। अपने आंसुओ को तन्हाई मे बहाके, हमे मुस्कुरना सिखाता है। पर वो खुद प्यार की आग मे जलता जाता है। जानता है की वो नही आएंगे, फिरभी उन्के आनेकी आस लगाए रहता है । दुआ है मेरी रबसे, यूं किसी दिल को किसिपे फिदा ना करे। ना करे इतना बेबस उसे, यूं भरी महफिल मे उसे रुस्वा ना करे। बस अब और ना इंतज़ार करवा इस्स नादान को उन्के आनेका, जिनकी याद मे तु इसे दिन रात तडपाता है। तूटता है,वो भी बिखरता है, जब तु इसका प्यार, किसी और के नाम लिख देता है

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by ritusondhi

ईश्क

09 Jul, 2020