दोहा
पियूष दायिनी है ये , करुणा के अवतार ।
ममता स्नेहिल जिंदगी, माँ जीवन आधार ।।
नारी के सम्मान से , सुखी होता परिवार ।
नारी को भी है सभी , नर जैसा अधिकार ।।
प्रेम समर्पण त्याग से , बनता है परिवार ।
विश्वास सुमन को सींच , दो आपस में प्यार ।।
नारी से पूर्ण जगत , पाता है आधार ।
उमा , रमा के रूप में , करती है यह प्यार
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
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